130 साल बाद बुद्ध पूर्णिमा पर लग रहा चंद्रग्रहण, सूतक काल से लेकर अन्य सभी जानकारी जानें बस एक क्लिक में

Chandra Grahan 2023 : बुद्ध पूर्णिमा पर साल 2023 का पहला चंद्र ग्रहण लग रहा है। यह एक उपच्छाया चंद्र ग्रहण है, जिसका सूतक काल मान्य नहीं होगा।

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  • Publish Date - May 4, 2023 / 10:29 PM IST,
    Updated On - May 4, 2023 / 10:29 PM IST

नई दिल्ली : Chandra Grahan 2023 : बुद्ध पूर्णिमा पर साल 2023 का पहला चंद्र ग्रहण लग रहा है। यह एक उपच्छाया चंद्र ग्रहण है, जिसका सूतक काल मान्य नहीं होगा। वैज्ञानिक दृष्टि से चंद्र या सूर्य ग्रहण एक खगोलिय घटना है लेकिन ज्योतिष शास्त्र में ग्रहण को अशुभ बताया गया है क्योंकि ग्रहण के समय राहु और केतु चंद्रमा को ग्रसित यानी निगल लेते हैं, तभी चंद्र ग्रहण लगता है। चंद्र ग्रहण पर 130 साल बाद दुर्लभ संयोग बन रहा है क्योंकि बुद्ध पूर्णिमा पर 130 साल बाद चंद्र ग्रहण लग रहा है।

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मान्य नहीं होगा सूतक काल

चंद्र ग्रहण तुला राशि और स्वाति नक्षत्र में लग रहा है औऱ मोक्षकाल तक यानी समापन तक विशाखा नक्षत्र में पहुंच जाएंगे। चंद्र ग्रहण का सूतक काल 9 घंटे पहले से ही शुरू हो जाता है लेकिन यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा इसलिए इस ग्रहण का सूतक काल मान्य नहीं होगा। वैशाख पूर्णिमा पर लगने वाले चंद्र ग्रहण की अवधि कुल 4 घंटे 18 मिनट की होगी। यह ग्रहण 8 बजकर 45 मिनट से शुरू होगा और रात 1 बजकर 2 मिनट पर खत्म होगा। इस साल दो चंद्र ग्रहण पड़ेंगे।

पूर्णिमा तिथि की शुरुआत और अंत

Chandra Grahan 2023 :  वैशाख पूर्णिमा तिथि – 5 मई दिन शुक्रवार
वैशाख पूर्णिमा तिथि प्रारंभ – 4 मई रात 11 बजकर 45 मिनट से शुरू
वैशाख पूर्णिमा तिथि समापन- 5 मई रात 11 बजकर 5 मिनट तक
उदिया तिथि को मानते हैं वैशाख पूर्णिमा 5 मई दिन शुक्रवार को मनाई जाएगी।

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चंद्रग्रहण पर बन रहे ये दुर्लभ संयोग

Chandra Grahan 2023 :  बुद्ध पूर्णिमा यानी चंद्र ग्रहण पर 12 साल बाद चतुर्गही योग बन रहा है। मेष राशि में बुध, राहु, बृहस्पति और सूर्य के साथ मिलकर चतुर्गही योग का निर्माण कर रहे हैं। साल 2023 में दो चंद्र ग्रहण पड़ेंगे, पहला चंद्र ग्रहण 5 मई को होगा, जो उपच्छाया चंद्र ग्रहण होगा। वहीं दूसरा 28 अक्टूबर को होगा, जो आंशिक चंद्र ग्रहण होगा। 5 मई को पड़ने वाला चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा लेकिन साल का दूसरा चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई देगा। बुद्ध पूर्णिमा पर सूर्योदय के बाद सिद्धि योग बन रहा है, जिससे इस दिन का महत्व बढ़ गया है। इसके साथ ग्रहण की शुरुआत स्वाति नक्षत्र में हो रही है। साथ ही इस दिन भद्रा काल भी रहेगा लेकिन इस भद्रा का वास पाताल में होने की वजह से भद्रा का अशुभ प्रभाव नहीं पड़ेगा।

चंद्रग्रहण का समय

पहला चंद्रग्रहण – 5 मई 2023, दिन शुक्रवार
चंद्रग्रहण की शुरुआत – 5 मई, रात 8 बजकर 45 मिनट से
चंद्रग्रहण का समापन – 6 मई, रात 1 बजकर 2 मिनट तक
उपच्छाया से पहला स्पर्श काल – रात 8 बजकर 45 मिनट से
परमग्रास चंद्रग्रहण काल – रात 10 बजकर 52 मिनट पर
उपच्छाया से अंतिम स्पर्श काल – रात 1 बजे तक

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यहां दिखेगा चंद्रग्रहण

बुद्ध पूर्णिमा पर लग रहा यह चंद्रग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। यह ग्रहण एशिया, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, प्रशांत अटलांटिक, अफ्रीका, अंटार्कटिका और हिंद महासागर में देखा जा सकता है। यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा इसलिए इस ग्रहण का सूतक काल मान्य नहीं होगा। वैसे चंद्र ग्रहण का सूतक काल 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है, जबकि सूर्य ग्रहण का सूतक काल 12 घंटे पहले शुरू हो जाता है।

चंद्र ग्रहण का महत्व

Chandra Grahan 2023 :  वैज्ञानिक दृष्टि से जब सूर्य और धरती के बीच चंद्रमा आ जाता है तो चंद्र ग्रहण लगता है। वहीं धार्मिक मान्यताओं में राहु चंद्रमा को ग्रसित कर देता है, जिसकी वजह से चंद्र ग्रहण पड़ता है। राहु के ग्रसित करने से चंद्रमा की किरणें दूषित हो जाती हैं, जिसका अशुभ प्रभाव पृथ्वीवासियों पर पड़ता है। चाहें फिर ग्रहण पृथ्वी के किसी भी हिस्से में दिखे।

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तीन तरह के होते हैं चंद्र ग्रहण

पहला पूर्ण चंद्रग्रहण

इसमें पृथ्वी की छाया पूरे चंद्रमा की सतह पर पड़ती है अर्थात चंद्रमा पृथ्वी को पूरी तरह ढक लेती है। उस वक्त चंद्रमा का रंग पूरी तरह लाल रंग का नजर आने लगता है, जिसे सुपर ब्लड मून के नाम से जाना जाता है। यह चंद्र ग्रहण सबसे अधिक प्रभावी माना जाता है।

दूसरा आशिंक चंद्रग्रहण

आशिंक चंद्रग्रहण में चंद्रमा का केवल एक ही हिस्सा पृथ्वी की छाया में प्रवेश करता है अर्थात जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी पूरी तरह ना आकर पृथ्वी की छाया चंद्रमा के कुछ ही हिस्से पर पड़ती है। उस स्थिति को आशिंक चंद्र ग्रहण कहा जाता है। इस ग्रहण की अवधि ज्यादा देर की नहीं होती है।

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तीसरा उपच्छाया चंद्रग्रहण

Chandra Grahan 2023 :  उपच्छाया चंद्रग्रहण को पृथ्वी की छाया वाला माना जाता है, इसमें चंद्रमा के आकार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। इसमें चंद्रमा की चांदनी में हल्का सा धुंधलापन आ जाता है। यानी चांद की राोशनी में थोड़ी फीकी नजर आती है और रंग मटमैला हो जाता है, जिसमें फर्क करना मुश्किल हो जाता है। सूरज की रोशनी चंद्रमा तक पहुंचने से धरती रोक लेती है, जिसे उपच्छाया चंद्रग्रहण कहते हैं।

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