Ram Mandir Pran Pratistha: ‘श्रीरामोपासना’ के माध्यम से होगी रामलला की प्राण प्रतिष्ठा! जानें पूजा का विधि-विधान

Ram Mandir Pran Pratistha: 'श्रीरामोपासना' के माध्यम से होगी रामलला की प्राण प्रतिष्ठा! जानें पूजा का विधि-विधान

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  • Publish Date - January 11, 2024 / 02:44 PM IST,
    Updated On - January 11, 2024 / 03:02 PM IST

नई दिल्ली: Ram Mandir Pran Pratistha ये तो सभी जानते हैं कि 22 जनवरी को पूरे देश में दिवाली मनाया जाएगा। क्योंकि इस दिन भगवान श्री राम अयोध्या में विराजमान होंगे। इस दिन को ऐतिहासिक बनाने के लिए पूरे देशभर के लोग तैयारियों में जुट गए हैं और अब 22 जनवरी के दिन का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा ‘श्रीरामोपासना’ के माध्यम से की जाएगी। आज हम बताएंगे कि प्राण-प्रतिष्ठा की पूजा-पद्धति क्या रहेगी।

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Ram Mandir Pran Pratistha

‘श्रीरामोपासना’ के माध्यम से होगी प्राण प्रतिष्ठा

अध दिव्यमङ्गलविग्रहस्य साङ्गसायुधसपरिकरस्य भगवती रामभद्रस्य मनसैव एकैकमन ब्रह्मसृष्टिलोकोत्तरसौन्दर्यलावण्याढां ध्यायन् (प्रातःस्मरामिरघुनाधमुखारविन्दम्) श्रीगुरुपरम्परादिकमनुसन्दधत् अप्रमेयकृपारत्नाकरस्य भगवतः श्रीरामचन्द्रस्य सुप्रभातं पठन् अर्चनयोग्यो मुमुक्षुरुपासको दण्डवद्भगवन्तं प्रणम्य भगवन्मन्दिरं प्रविश्य अर्चनपात्रादीनि सम्प्रक्षालयेत्।

राघवेन्द्रसुप्रभातम् – सर्गस्थितिप्रलपकर्मधुरन्धराय, ब्रह्मेन्द्ररुद्र परिपूजितपादुकाय । सद्धर्मरक्षणविधौ सततं रताय, राघवेन्द्र। भवते नवसुप्रभातम् ॥१॥ हे कोसलेश। सरयूजलशीतलोऽसौ, रम्यः सुगन्धिभरितः पवनः प्रभाते । संवाहयत्यतिसुखेन वपुस्त्वदीयं

हे राघवेन्द्र। भवते नवसुप्रभातम् ॥२॥

हृष्टो वशिष्ठपरमर्षिरयं शुभाशी- राशीनिमान्वितरितुं तव पुण्य गेहे। संप्राप्त एव बहुसन्तगणैः परीतः, हे राघवेन्द्र । भवते नवसुप्रभातम् ॥३॥ इक्ष्वाकुवंशकुलदीपक । पुण्यकीर्ते । हे जानकीप्रणयपाशविलासमूर्ते । उन्मीलयामलदृशौ करुणामयौ ते. हे राघवेन्द्र । भवते नवसुप्रभातम् ॥४॥

तातस्तु ते दशरथो मुदितः सदैव, मात्राभिरत्र सहितः समुपागतोऽसौ । त्वद्रम्यमाननसुखं समवाप्तुकामः, तव अन्येऽपि ये तवर लोके स्वजन्मफलमाप्तुमिह प्रभाते।

जगद्‌गुरुस्वामिश्रीरामानान्दाचार्यप्रतिष्ठापित श्रीरामोपासना

सीतानाथसमारम्भां रामानन्दार्यमध्यमाम् । अस्मदाचार्यपर्यन्तां वन्दे गुरुपरम्पराम् ॥ यत्र यत्र रघुनाथकीर्तनं तत्र तत्र कृतमस्तकाञ्जलिम् । वाष्पवारिपरिपूर्णलोचनं मारुतिंनमतराक्षसान्तकम् ॥

वाञ्छाकल्पतरुभ्यश्च कृपासिन्धुभ्य एव च । पतितानां पावनेभ्यो वैष्णवेभ्यो नमोनमः ॥

 

सत्य सनातन धर्म की जय गो माता की जय भारत माता की जय पुनः मङ्गला आरती की जय जय श्रीसीताराम मङ्गलानुशासनं कुर्यात्।

ॐ नमो भगवते उत्तमश्लोकाय नम आर्यलक्षणशीलव्रताय नम उपशिक्षितात्मन

उपासितलोकाय नमः साधुवादनिकषणाय नमो

महापुरुषाय महाराजाय नमः ॥ क तक मङ्गलानीराजनानन्तरं समर्चनीयदेवस्य दक्षिणपार्श्व समुपविश्य आग्नेयादारभ्य प्रदक्षिणक्रमेण, प्रक्षालित पाद्यार्थ्याचमनस्त्रानपात्राणि संस्थाप्य तेषां मध्ये शुद्धजलपात्रं निधाय तत्र

ब्रह्मण्यदेवाय

१. दूर्वाविष्णुपर्णीपद्मश्यामकसहितं जलं पाद्यपात्रे (विष्णुपर्णी, कमल, तथा श्यामक सहित जल) निक्षिपेत् ।

२ सर्षपाक्षतकुशाग्रतिलयवगन्धजायफलपुष्पसहितं जलं अर्घ्यपात्रे (सरसो, अक्षत, कुशाग्र, तिल, यव, गन्ध, जायफल फूल सहित शुद्ध छना हुआ जल) निक्षिपेत्

(३) एलालवङ्गकङ्कोलजातिसहितं जलमाचनपात्रे (इलायची, लवङ्ग, कङ्कोल, तथा जायफल सहित जल) निक्षिपेत् ।

(४) कोष्टमाजिष्ठहरिद्रामुस्ताशैलेयचम्पकवचकर्पूरलामज्जकसहितं जलं (कूठ, मजीठ, हल्दी, मोथा, छबीला, चम्पा, वच, कर्पूर तथा लामञ्जक रस सहित जल) स्रानपात्रे निक्षिपेत्

श्रीमन्त्रराजेन प्रत्येकं तत्तत्पात्रं संमन्त्र्य सुरभिमुद्रां च प्रदर्थ्य वामपार्श्वे पूर्णकुम्भं निधाय तक अन्यानि पूजाद्रव्याणि दक्षिणपार्श्वे च निधाय मनसा स्वाचार्य पाञ्चादिभिः सम्पूज्यतद्धस्तेनैवाराधनं स्वीकार्यमिति भगवते विज्ञाप्य पूर्वस्थापितस्ववामपार्श्वस्थपूर्णकुम्भे श्रीराममन्त्रोच्चारणपूर्वकं तुलसीदलं निक्षिप्य श्रीमन्त्रराजेनेवाभिमन्य पञ्चपात्रेभ्यः किश्चिक्तिश्चित्तोय समुद्धृत्यापूर्व कूर्ण कुम्मेण निचिपेत्। तत तज्जलेनपाद्यादिपञ्चपात्राणि षडक्षरमन्वोच्चारणपूर्वक कमेण प्रपूर्व उद्धरण्याध्यादि उद्धरण्यार्घ्यसलिलमादाय नासाग्रपर्यन्त ॐ विरजे आगच्छागच्छेति सप्तकृत्वा उक्त्वा तत्तोयेनात्मानं पूजोपकरणानि गर्भगृहभूमिं च प्रोक्ष्यापशिष्टमन्यन्त्र प्रक्षिपेत् ।

जयघोष

श्रीरामलला सरकार की जय

श्रीआनन्दकन्द भगवान् की जय श्रीकौशल्यानन्दन भगवान् की जय

की जय श्रीदशरथनन्दन भगवान्

श्रीकैकयीनन्दन भगवान की जय

श्रीसुमित्रानन्दन भगवान् की जय श्री चारों भइयन की जय श्रीहनुमान् जी महाराज की जय श्रीरामजन्मभूमि की जय श्रीकृष्णजन्म भूमि की जय श्रीकाशीविश्वनाथ की जय श्रीअयोध्या धाम की जय जगद्गुरु स्वामी श्रीरामानन्दाचार्य जी महाराज की जय गोस्वामी श्रीतुलसीदास जी महाराज की जय

श्रीसरयू महारानी की जय

समस्त पूर्वाचार्यों की जय सर्वसन्तवैष्णव भगवान् की जय!!

क्या है प्राण प्रतिष्ठा

सनातन धर्म में किसी भी मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। प्राण प्रतिष्ठा मूर्ति स्थापना के समय किया जाता है। किसी भी मूर्ति की स्थापना के समय उस प्रतिमा रूप को जीवित करने की विधि प्राण प्रतिष्ठा कहलाती है। मान्यता है कि प्राण प्रतिष्ठा के जरिए मूर्ति में जीवन शक्ति का संचार होता है।

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