PM Modi in Ayodhya : पीएम मोदी ने की राम नाम की व्याख्या..! अयोध्या में कहा- ‘दैवीय आत्माएं हमें आशीर्वाद देने के लिए उपस्थित हैं’

PM Modi in Ayodhya: रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का लाइव दर्शन कर सकते हैं और इस पावन व ऐतिहासिक दिन के साक्षी बन सकते हैं।

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  • Publish Date - January 22, 2024 / 03:38 PM IST,
    Updated On - January 22, 2024 / 03:38 PM IST

PM Modi in Ayodhya : राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के लिए अयोध्या नगरी सज-धज कर तैयार हो चुकी है। पूरी अयोध्या को फूलों से सजाया गया है। प्रधानमंत्री पूजा सामग्री लेकर मंदिर के भीतर प्रवेश कर कर पूजन किया। बता दें कि पीएम मोदी रामलला की पूजा के लिए मुख्य यजमान बने और उन्होंने 11 दिनों के यम नियम का पालन भी किया है। राम मंदिर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गर्भगृह में पूजा-अर्चना कर रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की। आप घर पर रहकर भी रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का लाइव दर्शन कर सकते हैं और इस पावन व ऐतिहासिक दिन के साक्षी बन सकते हैं।

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PM Modi in Ayodhya : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की गई। पीएम मोदी ने आरती करने के बाद भगवान को दंडवत प्रणाम किया। इसके बाद पीएम मोदी ने शामिल हुए रामभक्तों को संबोधन किया। पीएम मोदी ने सबसे पहले जयश्रीराम के जयकारे के साथ सभी को राम राम कहा। इसके बाद कहा कि हमारे राम आ गए है। सभी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुभकामनाएं दी। कहा कि कहने को बहुत कुछ है लेकिन कंठ अवरूद्ध है। हमारे रामलला अब टेंट में नहीं बल्कि इस दिव्य मंदिर में रहेंगे। मेरा विश्वास है कि जो घटित हुआ इसका एहसास दुनिया में मौजूद रामभक्तों को हो रहा होगा।

पीएम मोदी ने कहा कि आज पूरा देश दीवाली बना रहा है। राम मंदिर के निर्माण के बाद से देशवासियों में नया उत्साह पैदा हो रहा था। आज हमें सदियों की धरोहर मिली है, श्रीराम का मंदिर मिला है। गुलामी की मानसिकता को तोड़कर उठ खड़ा होता राष्ट्र ऐसे ही नवइतिहास का सृजन करता है। आज से हजार साल बाद भी लोग आज के इस पल, तारीख की चर्चा करेंगे। राम की कितनी बड़ी कृपा है कि हम सब इस पल को घटित होते देख रहे हैं।

 

पीएम मोदी ने कहा, मैं पावन अयोध्यापुरी और सरयू को भी प्रणाम करता हूं। मैं इस समय दैवीय अनुभूति कर रहा हूं। वे दैवीय अनुभूतियां भी हमारे आसपास उपस्थित हैं, उन्हें कृतज्ञतापूर्वक नमन करता हूं। प्रभु राम से क्षमायाचना भी करता हूं। हमारे त्याग, तपस्या, पूजा में कोई तो कमी रह गई होगी कि इतने साल ये काम नहीं कर पाए। आज ये कमी पूरी हुई। मुझे विश्वास है कि प्रभु राम हमें अवश्य क्षमा करेंगे।

 

पीएम मोदी ने कहा कि प्रभु के अयोध्या आगमन से सभी देशवासी हर्ष से भर गए। जो विपत्ति आई थी, वो खत्म हो गई। वो 14 वर्षों का था। अब तो हमने सैकड़ों वर्षों का वियोग सहा है। भारत के संविधान की पहली प्रति में भगवान राम विराजमान हैं। दशकों तक प्रभु राम के अस्तित्व पर कानूनी लड़ाई चली। मैं न्यायपालिका का शु्क्रगुजार हूं कि उसने लाज रख ली।

 

पीएम मोदी ने कहा, हम देख रहे हैं कि राम मंदिर का निर्माण किसी आग को नहीं, बल्कि ऊर्जा को जन्म दे रहा है। राम मंदिर समाज के हर वर्ग को उज्ज्वल भविष्य के पथ पर प्रेरणा लेकर आया है। मैं आज उन लोगों से आह्रान करूंगा कि आइए आप महसूस कीजिए और सोच पर पुनर्विचार कीजिए कि राम आग नहीं हैं, ऊर्जा हैं। राम विवाद नहीं, राम समाधान हैं। राम सिर्फ हमारे नहीं है, राम सबके हैं। राम वर्तमान ही नहीं, बल्कि राम अनंतकाल हैं। आज जिस तरह राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के आयोजन से पूरा विश्व जुड़ा है, उसमें राम की सर्व व्यापकता के दर्शन हो रहे हैं। जैसा उत्सव भारत में है, वैसा ही अनेक देशों में है। आज अयोध्या का यह उत्सव रामायण की वैश्विक परंपराओं का भी उत्सव बना है।

 

पीएम मोदी ने किया माता शबरी का जिक्र

पीएम मोदी ने कहा कि अब राम मंदिर तो बन गया, अब आगे क्या। जो दैवीय आत्माएं हमें आशीर्वाद देने के लिए उपस्थित हैं, उन्हें क्या हम ऐसे ही विदा करेंगे? नहीं। कदापि नहीं। उन्होंने कहा कि कालचक्र बदल रहा है। यही समय है, सही समय है। मंदिर निर्माण से आगे बढ़कर हम सभी देशवासी अगले हजार साल के लिए समर्थ-सक्षम-भव्य-दिव्य भारत के निर्माण की सौगंध लेते हैं। आज के युग की मांग है कि हमें अपने अंतःकरण को विस्तार देना होगा। हनुमानजी की भक्ति, हनुमानजी की सेवा, हनुमानजी का समर्पण ऐसे गुण हैं जिन्हें बाहर नहीं खोजना पड़ता है। हर भारतीय में भक्ति, सेवा और समर्पण ही भव्य-दिव्य भारत के निर्माण का आधार बनेंगे।

उन्होंने शबरी का जिक्र करते हुए कहा कि हमारी आदिवासी मां शबरी को देखते ही अप्रतिम विश्वास जाग उठता है। शबरी कब से कहती थी- राम आएंगे। यही विश्वास दिव्य भारत के निर्माण का आधार बनेगा। देव से देश और राम से राष्ट्र की चेतना का विस्तार। आज देश में निराशा के लिए रत्तीभर भी स्थान नहीं है। अगर कोई ये सोचता है कि मैं तो छोटा हूं, उसे गिलहरी के योगदान को याद करना चाहिए। सबके प्रयास की यही चेतना समर्थ, दिव्य-भव्य भारत के निर्माण का आधार बनेगी।

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