Chhattisgarh Naan scam

CG NAN Scam: : जानें क्यों ACB-EOW के शिकंजे में फंसे दो रिटायर्ड IAS और एक पूर्व एजी

Chhattisgarh Naan scam: : दो सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारियों और पूर्व एजी के खिलाफ मामला दर्ज

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Modified Date: November 5, 2024 / 12:01 PM IST
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Published Date: November 5, 2024 11:45 am IST

रायपुर: Chhattisgarh Naan scam छत्तीसगढ़ के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) और आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (ईओडब्ल्यू) ने दो सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारियों और राज्य के पूर्व महाधिवक्ता के खिलाफ करोड़ों रुपये के नागरिक आपूर्ति निगम (नान) घोटाले के मामलों की जांच और सुनवाई को प्रभावित करने के लिए अपने पदों का दुरुपयोग करने के आरोप में मामला दर्ज किया है। यह तीनों पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान पद पर थे।

ईओडब्ल्यू के एक अधिकारी ने मंगलवार को बताया कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा राज्य की एजेंसी को उपलब्ध कराई गई एक रिपोर्ट और दस्तावेजों के आधार पर सोमवार को दो पूर्व आईएएस अधिकारियों और नान घोटाले के आरोपी अनिल टुटेजा और आलोक शुक्ला तथा पूर्व महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई।

व्हाट्सएप चैट सहित कुछ डिजिटल साक्ष्य एकत्र किए

अधिकारी ने बताया कि तीनों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है।

प्राथमिकी में कहा गया है कि नागरिक आपूर्ति निगम घोटाले (नान घोटाला) में राज्य के एसीबी/ईओडब्ल्यू और ईडी द्वारा दर्ज मामलों के आधार पर, आयकर विभाग ने टुटेजा और शुक्ला के खिलाफ व्हाट्सएप चैट सहित कुछ डिजिटल साक्ष्य एकत्र किए थे, जिससे पता चलता है कि दोनों न केवल ईडी की जांच को बाधित करने का प्रयास कर रहे थे बल्कि छत्तीसगढ़ सरकार के नौकरशाहों तथा संवैधानिक पद पर बैठे लोगों के साथ मिलकर एसीबी/ईओडब्ल्यू के मामले को प्रभावित करने का प्रयास कर रहे थे। यह मामला रायपुर की विशेष अदालत में विचाराधीन है।

प्राथमिकी में कहा गया है कि आलोक शुक्ला, 2018 से 2020 तक छत्तीसगढ़ राज्य शासन में लोक सेवक की हैसियत से प्रमुख सचिव के पद पर पदस्थ थे। अनिल टुटेजा 2019 से 2020 के दौरान छत्तीसगढ़ राज्य शासन में लोक सेवक की हैसियत से संयुक्त सचिव के पद पर पदस्थ थे। सतीश चन्द्र वर्मा छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में वर्ष 2019 से 2020 तक महाधिवक्ता, छत्तीसगढ़ राज्य शासन के पद पर लोक सेवक की हैसियत से पदस्थ थे।

सरकार के सबसे शक्तिशाली अधिकारी

प्राथमिकी में कहा गया है कि टुटेजा और शुक्ला शासन में (कांग्रेस शासन 2018 से 2023 के दौरान) महत्वपूर्ण पदाधिकारी बन गये थे तथा इन अधिकारियों का वर्ष 2019 से लगातार सरकार के संचालन नीति निर्धारण एवं अन्य कार्यों में काफी हस्तक्षेप था। यह सरकार के सबसे शक्तिशाली अधिकारी थे तथा सभी महत्वपूर्ण पदों पर पदस्थापना और स्थानांतरण में इनका सीधा हस्तक्षेप था। प्राथमिकी के अनुसार, एक तरह से कहा जाए कि छत्तीसगढ़ सरकार की सारी नौकरशाही इनके नियंत्रण में थी और वांछित अधिकारियों को वांछित पदस्थापना भी इनके नियंत्रण में थी। इस कारण राज्य सरकार के महत्वपूर्ण पदों पर पदस्थ अधिकारियों पर इनका नियंत्रण था।

प्राथमिकी के अनुसार, प्रकरण में व्हाट्सएप चैट और संलग्न दस्तावेजों के अवलोकन तथा गोपनीय सत्यापन और सूचना संकलन पर प्रथम दृष्टया यह पाया गया कि, वर्ष 2019 से वर्ष 2020 तक लगातार आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा के द्वारा छत्तीसगढ़ सरकार में लोक सेवक के पद पर पदस्थ रहते हुए अपने-अपने पदों का दुरुपयोग करते हुए तत्कालीन महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा को इस इरादे से अनुचित लाभ दिया गया कि उन्हें अनुचित तरीके से सार्वजनिक कर्तव्य निभाने के लिए प्रेरित किया जा सके।

विभागीय कार्यों से संबंधित दस्तावेज तथा जानकारी में बदलाव करवाया

दर्ज प्राथमिकी में कहा गया है कि वर्मा के साथ मिलीभगत करके दोनों अधिकारियों ने कथित तौर पर आपराधिक षड़यंत्र करते हुए राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो में पदस्थ उच्चाधिकारियों के प्रक्रियात्मक और विभागीय कार्यों से संबंधित दस्तावेज तथा जानकारी में बदलाव करवाया। उन्होंने अपने विरुद्ध दर्ज नागरिक आपूर्ति निगम के मामले में अपने पक्ष में उच्च न्यायालय में प्रस्तुत किए जाने वाले जवाब बनवाये जिससे उन्हें अग्रिम जमानत का लाभ मिल सके तथा प्रवर्तन निदेशालय के द्वारा पंजीबद्ध मामले में भी अग्रिम जमानत का लाभ मिल सके।

प्राथमिकी में कहा गया है कि इसके अलावा, उन्होंने ईओडब्ल्यू के तत्कालीन वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मिलकर मामले में गवाहों पर अपने बयान बदलने के लिए कथित तौर पर दबाव डाला।

कथित घोटाला फरवरी, 2015 में उजागर हुआ था, जब एसीबी/ईओडब्ल्यू ने नागरिक आपूर्ति निगम (नान) के 25 परिसरों पर एक साथ छापे मारे थे, जो सार्वजनिक वितरण प्रणाली के प्रभावी संचालन को सुनिश्चित करने के लिए नोडल एजेंसी थी। इस दौरान कुल 3.64 करोड़ रुपये नगद जब्त किये गए थे। छापे के दौरान एकत्र किए गए चावल और नमक के कई नमूनों की गुणवत्ता की जांच की गई और दावा किया गया कि वे घटिया और मानव उपभोग के लिए अनुपयुक्त हैं।

अधिकारियों सहित 18 लोगों को आरोपी बनाया

बाद में, एसीबी ने मामले में दो भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारियों, अनिल टुटेजा और आलोक शुक्ला तथा तत्कालीन राज्य सरकार के खाद्य और नागरिक आपूर्ति विभाग में तैनात अधिकारियों सहित 18 लोगों को आरोपी बनाया गया।

2019 में, ईडी ने घोटाले में छत्तीसगढ़ के एसीबी/ईओडब्ल्यू द्वारा दायर प्राथमिकी और आरोपपत्र के आधार पर धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) दर्ज की थी।

टुटेजा नागरिक आपूर्ति निगम (नान) के पूर्व अध्यक्ष हैं, जबकि शुक्ला इसके पूर्व प्रबंध निदेशक हैं। इस वर्ष अप्रैल में टुटेजा को छत्तीसगढ़ में कथित दो हजार करोड़ रुपये के शराब घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में ईडी ने गिरफ्तार किया था।

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