स्टेशन पर चाय बेचते थे पिता: गुजरात के वडनगर की गलियों में बचपन बिताने वाले नरेंद्र मोदी की जिंदगी का सफर दुनिया के हर एक शख्स के लिए मिसाल है। उनके पिता दामोदरदास मोदी वडनगर रेलवे स्टेशन के सामने एक छोटी-सी दुकान पर चाय बेचते थे।
पहली बार देश के प्रधानमंत्री 2014 में बने मोदीः 2013 में नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता को देखते हुए बीजेपी और एनडीए ने उन्हें प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया। इसके बाद 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ही बीजेपी ने लोकसभा चुनाव लड़ा और प्रचंड जीत हासिल की। जनता ने मोदी को दिल खोलकर आशीर्वाद दिया और मई, 2014 में वो देश के 14वें प्रधानमंत्री बने। 5 साल तक काम करने के बाद 2019 में जनता ने उन्हें एक बार फिर चुना।
एमए तक है पीएम मोदी की शिक्षा: पीएम मोदी ने गुजरात बोर्ड से 1967 में हाईस्कूल की परीक्षा पास की। वहीं, 1978 में दिल्ली यूनिवर्सिटी से बीए की डिग्री ली। इसके बाद उन्होंने 1983 में राजनीति विज्ञान में एमए किया। दो साल के इस कोर्स में उनके पास यूरोपियन पॉलिटिक्स, इंडियन पॉलिटिक्स एनालिसिस और साइकलॉजी ऑफ पॉलिटिक्स जैसे सब्जेक्ट थे।
मोदी की जिंदगी का टर्निंग प्वाइंट रहा 2001 रहा: 2001 में गुजरात में आए विनाशकारी भूकंप की वजह से 20 हजार लोग मारे गए। इस दौरान राजनीतिक दबाव के चलते तत्कालीन मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल को इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद उनकी जगह नरेंद्र मोदी को सीएम बनाया गया। इसके बाद तो मोदी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 2012 आते-आते बीजेपी में मोदी का कद इतना बड़ा हो चुका था कि पार्टी अब उन्हें देश के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में देखने लगी थी।
मात्र एक कमरे वाले घर में बीता बचपन: नरेन्द्र मोदी का बचपन बेहद संघर्षों में बीता। वडनगर के जिस घर में मोदी रहते थे वो बहुत ही छोटा था। उस घर में न कोई खिड़की थी और ना ही बाथरूम। मिट्टी की दीवारों और खपरैल की छत से बने एक-डेढ़ कमरे के ढांचे वाले घर में उनका बचपन बीता था।
संघ से बचपन से रहा जुड़ाव: नरेंद्र मोदी बचपन से ही आरएसएस से जुड़ गए थे। 1958 में आरएसएस के पहले प्रांत प्रचारक लक्ष्मण राव इनामदार उर्फ वकील साहब ने नरेंद्र मोदी को बाल स्वयंसेवक की शपथ दिलवाई थी। इसके बाद से ही मोदी आरएसएस की शाखाओं में जाने लगे थे। हालांकि, बाद में चाय की दुकान पर बैठने की वजह से वो नियमित रूप से शाखा में नहीं जा पाते थे।
बीजेपी में कई पदों पर भूमिका निभाई: साल 1988-89 में उन्हें भारतीय जनता पार्टी की गुजरात ईकाई का महासचिव बनाया गया। नरेंद्र मोदी ने लाल कृष्ण आडवाणी की 1990 की सोमनाथ-अयोध्या रथ यात्रा के आयोजन में अहम भूमिका निभाई थी। मोदी को 1995 में भारतीय जनता पार्टी का राष्ट्रीय सचिव और पांच राज्यों का पार्टी प्रभारी भी बनाया गया। इसके बाद 1998 में उन्हें महासचिव (संगठन) बनाया गया। इस पद पर वो अक्टूबर 2001 तक रहे।
बीजेपी से 1987 से जुड़े मोदी: 1967 में 17 साल की उम्र में नरेन्द्र मोदी अहमदाबाद पहुंचे और उसी साल उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सदस्यता ली। इसके बाद 1974 में वे नव निर्माण आंदोलन में शामिल हुए। इस तरह सक्रिय राजनीति में आने से पहले मोदी कई सालों तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक रहे। संघ के रास्ते 1987 में वो बीजेपी में शामिल हो गए।
नरेंद्र दामोदरदास मोदी..ये सिर्फ एक नाम नहीं बल्कि अपने आप में एक पूरी गाथा है, जिसका सफर गुजरात के वडनगर से प्रारंभ होकर दिल्ली स्थित पीएम हाउस तक पहुंचा। हालांकि, उनका ये सफर न सिर्फ संघर्षों से भरा बल्कि बेहद रोमांचक भी रहा। मां हीराबेन के लिए नरिया और दोस्तों के बीच एनडी के नाम से मशहूर नरेन्द्र मोदी का जन्म 17 सितंबर 1950 को गुजरात के महेसाणा जिले में स्थित वडनगर में हुआ था। मोदी 6 भाई-बहनों में तीसरे नंबर के हैं। तो एक चाय बेचने वाला देश का प्रधानमंत्री कैसे बना यह दिलचस्प है।
6 साल की उम्र से ही बने पिता के सहयोगी: नरेन्द्र मोदी ने महज 6 साल की उम्र से ही अपने पिता का हाथ बंटाना शुरू कर दिया था। बचपन में मोदी को जब भी पढ़ाई से समय मिलता था, वे अपने पिता की मदद करने के लिए दुकान पर पहुंच जाते थे और ट्रेनों में चाय बेचते थे। मोदी कहते हैं कि मैंने चाय बेची, मुझे इस पर गर्व है लेकिन देश बेचने का काम नहीं किया।
2019 में पार किया 300 सौ का आंकड़ा : केंद्र की सत्ता संभालने बाद मोदी ने भाजपा को देश ही नहीं बल्कि दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बनाने में अहम भूमिका निभाई। अपनी शानदार कूटनीति की बदौलत पीएम मोदी भारत को विश्व पटल पर ऊंचाइयों पर ले गए। वर्ष 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी एक बार फिर चमत्कारिक नेता के रूप में उभरे और इस बार भारतीय जनता पार्टी का लोकसभा सीटों का आंकड़ा 300 से पार पहुंचा दिया।
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