सीजनल इफेक्ट डिसऑर्डर: मौसम में बदलाव होने पर व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है जिसमें से एक सीजनल इफेक्ट डिसऑर्डर है। ये डिप्रेशन का एक प्रकार है जिसे मौसम से जोड़कर देखा जाता है। वैसे तो ये डिसऑर्डर गर्मियों में भी होता है लेकिन गर्मियों के तुलना में सर्दियों में इसके मामले ज्यादा देखे जाते हैं।
खान-पान में बदलाव: सर्दियों के मौसम में हम दूध, दही और पनीर जैसी चीजों का ज्यादा सेवन करते हैं। मालूम हो कि डेयरी प्रोडक्ट्स का ज्यादा सेवन करने से भी नींद ज्यादा आती है।
फिजिकल एक्टिविटी घटना: सर्दियां शुरू होते ही लोग एक्सरसाइज करना बंद कर देते हैं और एक जगह पर बैठे रहना ज्यादा पसंद करते हैं। ऐसे में शारीरिक गतिविधि कम होने के कारण भी आलस और ज्यादा नींद आने जैसी परेशानियां हो सकती हैं।
मौसमी बदलाव: सर्दियों की शुरुआत होते ही तापमान ठंडा होने के साथ ही दिन छोटे होने लगते हैं और पहले ही सूर्यास्त हो जाता है। ऐसे में धूप कम मिलने पर शरीर में विटामिन डी की कमी हो सकती है, जिससे व्यक्ति को ज्यादा नींद और थकान जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
हमें अक्सर यही कहा जाता है कि मौसम में बदलाव के कारण ऐसा होता है लेकिन इसके पीछे का कारण शायद ही किसी को पता होगा। तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि सर्दियों में नींद ज्यादा आने के पीछे क्या कारण हो सकते हैं।
सर्दियों के मौसम में लोगों को सुस्ती और थकावट जैसी समस्या ज्यादा होती हैं। इसी के साथ ज्यादा नींद आती है। ऐसे में इसके पीछे हमारे स्वास्थ्य और लाइफस्टाइल से जुड़े कई कारण भी हो सकते है।
Reason to sleep in winter