बालोद। बालोद जिले के नारागांव के जंगल में मां सियादेवी का मंदिर स्थित है। करीब 5 हजार साल प्राचीन माता की मूर्ति की एक झलक पाने दूर-दूर से भक्त यहां आते हैं। ऐसी मान्यता है कि नवरात्रि में मां के दर्शन मात्र से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। कोरोना वायरस ने भले ही इस बार यहां आने वाले भक्तों की संख्या को कम कर दिया हो लेकिन, सियादेवी के दरबार में भक्तों की आस्था देखते ही बन रही।
छत्तीसगढ़ के कोने कोने में देवी मां के कई ऐसे मंदिर हैं जिनके लिए लोगों में अटूट आस्था देखने को मिलती है। बालोद स्थित मां सियादेवी का मंदिर भी इन्हीं में से एक है। नवरात्रि के पावन मौके पर मां सियादेवी का मंदिर भक्तों के लिए आस्था का खास केंद्र बना हुआ है । ऐसी मान्यता है कि यहां भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है। यही कारण है कि यहां दूर-दराज से आए लोगों का जमावड़ा लगा रहता है। भक्तों की माने तो वे मां सियादेवी के दर्शन से अपने सारे कष्टों से पार पाते हैं।
इस मंदिर में दर्शन करने आने वाले यहां की प्राकृतिक सुंदरता से भी रूबरू होते हैं। झरने…पहाड़.. और धार्मिक स्थल सभी प्रकृति का मौन संगीत सुनाते हैं। माता की सवारी का स्थान हो या फिर मंदिर की गुफ़ा से जाने वाला रास्ता, सभी कुदरत का मनोरम चित्र दिखाता है। श्रद्धालु भी इस गुफा से जाना शुभ मानते हैं।