पुणे, 17 नवंबर (भाषा) राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) सुप्रीमो शरद पवार ने 20 नवंबर हो होने जा रहे विधानसभा चुनाव में, मतदाताओं से अजित पवार के नेतृत्व में बगावत करने वालों को न केवल हराने बल्कि ‘‘बुरी तरह से हराने’’ की अपील की।
शरद पवार ने सोलापुर जिले के माढा में जनसभा को संबोधित करते हुए दल-बदल की एक घटना को याद किया, जिसके कारण लगभग पांच दशक पहले उन्हें विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद खोना पड़ा था और उनके दृढ़ संकल्प के कारण उन सभी लोगों की हार हुई जिन्होंने उनके साथ ‘विश्वासघात’ किया था।
उन्होंने कहा, ‘‘1980 के चुनाव में, हमारी पार्टी से 58 लोग चुनाव जीते और मैं विपक्ष का नेता बना। मैं विदेश गया था और जब वापस आया तो मुझे एहसास हुआ कि मुख्यमंत्री एआर अंतुले साहब ने कोई चमत्कार कर दिया है और 58 में से 52 विधायकों ने पाला बदल लिया है। मैंने विपक्ष के नेता का पद खो दिया।’’
जनसभा को संबोधित करते हुए राकांपा(एसपी) प्रमुख ने कहा, ‘‘मैंने (उस समय) कुछ नहीं किया। मैंने सिर्फ राज्य भर में लोगों से संपर्क करना शुरू किया और तीन साल तक कड़ी मेहनत की। अगले चुनावों में मैंने उन सभी 52 विधायकों के खिलाफ युवा उम्मीदवार खड़े किए, जिन्होंने मुझे छोड़ दिया था। मुझे महाराष्ट्र के लोगों पर गर्व है कि मुझे छोड़ने वाले सभी 52 विधायक हार गए।’’
पवार (83) ने 1967 में 27 वर्ष की आयु में विधायक बनने के बाद से एक अपराजित नेता के रूप में अपनी स्थिति रेखांकित करते हुए कहा कि ‘‘मेरे अपने अनुभव हैं’’। उन्होंने कहा, ‘‘जिन लोगों ने विश्वासघात किया है, उन्हें उनकी जगह दिखानी चाहिए। उन्हें सिर्फ हराएं ही नहीं, बल्कि बुरी तरह हराएं।’’
पिछले साल जुलाई में अजित पवार और आठ विधायक महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार में शामिल हो गई थी जिसके बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का विभाजन हो गया था। निर्वाचन आयोग ने बाद में अजित पवार गुट को पार्टी का नाम और ‘घड़ी’ चुनाव चिह्न आवंटित कर दिया, जबकि पवार ने अपने गुट का नाम राकांपा (शरदचंद्र पवार) रखा गया और उसे चुनाव चिह्न ‘तुरही बजाता हुआ व्यक्ति’ आवंटित किया गया।
भाषा धीरज सुभाष
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