भाजपा के गढ़ नागपुर दक्षिण-पश्चिम में फडणवीस के लिए जीत आसान नहीं : राजनीतिक विश्लेषक

भाजपा के गढ़ नागपुर दक्षिण-पश्चिम में फडणवीस के लिए जीत आसान नहीं : राजनीतिक विश्लेषक

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  • Publish Date - November 6, 2024 / 05:09 PM IST,
    Updated On - November 6, 2024 / 05:09 PM IST

( फाइल फोटो के साथ )

नागपुर, छह नवंबर (भाषा) महाराष्ट्र में नागपुर दक्षिण-पश्चिम विधानसभा सीट को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का गढ़ माना जाता है, लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इस बार यहां से विधायक एवं उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को कांग्रेस के अपने प्रतिद्वंद्वी से कड़ी टक्कर मिलने की उम्मीद है।

उन्होंने कहा कि 20 नवंबर को राज्य में होने वाले चुनाव में फडणवीस के इस सीट से जीतने की प्रबल संभावना है लेकिन इस सीट पर दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल सकता है।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि फडणवीस और कांग्रेस के उनके प्रतिद्वंद्वी प्रफुल्ल गुडधे पाटिल के बीच कड़ी टक्कर हो सकती है, जिन्हें भाजपा नेता ने 2014 में हराया था।

इस सीट के मतदाताओं के बीच सबसे ज्यादा चर्चा के विषयों में पिछले साल भारी बारिश के बाद निर्वाचन क्षेत्र के कुछ इलाकों में आई बाढ़ और महंगाई शामिल हैं। इस सीट पर 4,08,149 मतदाता हैं।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि भाजपा गरीब महिलाओं के लिए वित्तीय सहायता योजना, लाडकी बहन योजना और समाज के विभिन्न वर्गों के लिए अन्य कल्याणकारी योजनाओं के जरिये विपक्ष के अभियान को कमजोर करने की उम्मीद कर रही है।

बहु-मॉडल अंतरराष्ट्रीय कार्गो हब और हवाई अड्डा (एमआईएचएएन), एम्स, आईआईएम नागपुर जैसे कुछ प्रमुख प्रतिष्ठान इस निर्वाचन क्षेत्र में स्थित हैं।

उन्होंने कहा कि छठी बार चुनाव जीतने की कोशिश कर रहे फडणवीस को विकास के मुद्दे पर अपने प्रतिद्वंद्वी पर बढ़त हासिल होने की उम्मीद है।

राजनीतिक विश्लेषक विवेक देशपांडे ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘बेशक नागपुर दक्षिण-पश्चिम भाजपा का गढ़ है, लेकिन उसे इस बार यहां चुनौती का सामना करना पड़ेगा। हालांकि फडणवीस का यहां मजबूत आधार होने के कारण यह सीट अभी भी भाजपा के पक्ष में जाती दिख रही है।’’

देशपांडे ने कहा, ‘‘इस बार फडणवीस को अपनी सीट बचाए रखने के लिए कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है और उन्होंने निर्वाचन क्षेत्र के हर कोने में होर्डिंग्स के जरिए बड़े पैमाने पर प्रचार अभियान चलाया है।’’

उन्होंने कहा कि इस निर्वाचन क्षेत्र में लगभग एक लाख दलित, 70,000 कुनबी, 60,000 ब्राह्मण, 30,000 तेली और 20,000 माली मतदाता हैं, जो इस बार पाटिल के लिए पहले की तुलना में बेहतर साबित हो सकते हैं। पहले संविधान का मुद्दा नहीं उठाया गया था।

स्थानीय निवासी डॉ. अर्चना देशपांडे ने कहा कि वह और कुछ अन्य लोग सितंबर 2023 में क्षेत्र में भारी बारिश के बाद अंबाझरी झील के उफान पर आने पर आई बाढ़ के बाद स्थानीय अधिकारियों और सरकार की प्रतिक्रिया से निराश हैं।

इस निर्वाचन क्षेत्र के शंकर नगर के निवासी ने कहा, ‘‘हमें समय पर सहायता नहीं मिल सकी और बाढ़ का पानी हमारे घरों में घुस गया, जिससे नुकसान हुआ। हमारी सड़कें ठीक नहीं हैं, साफ-सफाई नहीं है और हमारे क्षेत्र में चिकनगुनिया को फैलने से रोकने के लिए समुचित कदम नहीं उठाये गये।’’

महंगाई समेत अन्य समस्याओं को गिनाते हुए डॉ. देशपांडे ने दावा किया कि हालांकि मतदाता खुश नहीं हैं, लेकिन ज्यादातर वोट भाजपा और फडणवीस को जाएंगे क्योंकि लोगों के पास इससे बेहतर कोई विकल्प नहीं है।

निर्वाचन क्षेत्र के अजनी निवासी जोसेफ जॉन ने कहा कि उन्हें लगता है कि फडणवीस जीतेंगे, लेकिन मुकाबला कड़ा होगा।

जॉन ने कहा, ‘‘पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान उपमुख्यमंत्री होने के नाते फडणवीस को बढ़त हासिल है। वह इस निर्वाचन क्षेत्र से कभी नहीं हारे हैं। ये सभी तथ्य फडणवीस के पक्ष में जाते दिख रहे हैं।’’

राजनीतिक विश्लेषक प्रदीप कुमार मैत्रा ने कहा कि प्रफुल्ल गुडधे पाटिल के पिता विनोद गुडधे पाटिल 1990 में नागपुर जिले के पहले भाजपा विधायक थे।

विनोद गुडधे पाटिल भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल होने से पहले नागपुर-पश्चिम से दो बार विधायक रहे थे।

वर्ष 1999 के विधानसभा चुनाव में वह कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में लड़े और फडणवीस से हार गये थे। फडणवीस तब अपना पहला राज्य चुनाव लड़ रहे थे।

मैत्रा ने कहा कि नागपुर मेट्रो का निर्माण फडणवीस के शासनकाल में हुआ और इसका श्रेय उन्हें और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को जाता है।

भाषा

देवेंद्र मनीषा

मनीषा