उद्धव और शिंदे के गुट रोचक तरीके से एक दूसरे को बना रहे निशाना

उद्धव और शिंदे के गुट रोचक तरीके से एक दूसरे को बना रहे निशाना

उद्धव और शिंदे के गुट रोचक तरीके से एक दूसरे को बना रहे निशाना
Modified Date: April 6, 2025 / 08:51 pm IST
Published Date: April 6, 2025 8:51 pm IST

(प्रशांत रंगनेकर)

मुंबई, छह अप्रैल (भाषा)उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (उबाठा) और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना के बीच तीखी जुबानी जंग रचनात्मक दौर में पहुंच गई है, जहां एक-दूसरे का मखौल उड़ाने के लिए दोनों धड़े रोचक संक्षिप्त शब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं।

शिवसेना (उबाठा) अध्यक्ष उद्धव ठाकरे और उनके बेटे एवं पूर्व मंत्री आदित्य ठाकरे ने शिंदे को ‘ए सं शि’ कहना शुरू कर दिया है, जो उपमुख्यमंत्री के पूरे नाम एकनाथ संभाजी शिंदे का संक्षिप्त रूप है।

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बाल ठाकरे द्वारा स्थापित शिवसेना का विभाजन जून 2022 में हुआ था। उसके बाद ठाकरे गुट अकसर शिंदे पर तीखे हमला करते हुए उनके लिए ‘गद्दार’ और ‘खोके’ (आरोप लगाया कि पार्टी को विभाजित करने के लिए करोड़ों रुपये बदले गए) शब्दों का इस्तेमाल किया है।

शिंदे ने पलटवार करते हुए पूछा कि क्या यूटी (उद्धव ठाकरे का संक्षिप्त नाम) का मतलब ‘उपयोग करो और फेंको’ है।

पार्टी के एक पदाधिकारी ने कहा कि उद्धव ठाकरे का शिंदे पर ताजा कटाक्ष उनके द्वारा शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे को अपनी पार्टी के शुभंकर के रूप में इस्तेमाल करने पर है।

पदाधिकारी ने कहा, ‘‘उन्हें (शिंदे को) अपने पिता के नाम का इस्तेमाल करना चाहिए और बाल ठाकरे की विरासत और पार्टी पर दावा करने के बजाय अपनी खुद की पार्टी बनानी चाहिए।’’

विभाजन के बाद शिंदे के गुट को शिवसेना नाम और ‘धनुष-बाण’ चिह्न मिला, जबकि ठाकरे के नेतृत्व वाले गुट को शिवसेना (उबाठा)नाम दिया गया और इसको ‘मशाल’ चुनाव चिह्न आवंटित किया गया।

पार्टी के एक अन्य नेता ने कहा कि ठाकरे परिवार अपने कट्टर विरोधियों पर निशाना साधने का अपना तरीका अपनाता है, चाहे वह पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे हों या राकांपा नेता छगन भुजबल। दोनों ही तेजतर्रार नेता थे और बाल ठाकरे उन पर अत्यधिक विश्वास करते थे।

लेकिन पार्टी छोड़ने के बाद बाल ठाकरे ने उन्हें व्यंग्यात्मक उपनाम दिये जो लंबे समय तक उनके साथ रहे।

भाषा धीरज नरेश

नरेश


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