मुंबई, 21 जनवरी (भाषा) मुंबई पुलिस ने बंबई उच्च न्यायालय को सूचित किया है कि उसने स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) के पूर्व क्षेत्रीय निदेशक समीर वानखेड़े की ओर से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) नेता नवाब मलिक के खिलाफ दायर किए गए अत्याचार अधिनियम के मामले की जांच की है और सबूतों के अभाव में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करने का फैसला किया है।
अतिरिक्त लोक अभियोजक एसएस कौशिक ने 14 जनवरी को न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति नीला गोखले की खंडपीठ को सूचित किया कि 2022 के मामले की जांच के बाद पुलिस ने ‘सी समरी रिपोर्ट’ दाखिल करने का फैसला किया है।
‘सी-समरी रिपोर्ट’ उन मामलों में दायर की जाती है जहां जांच के बाद पुलिस इस निष्कर्ष पर पहुंचती है कि कोई सबूत नहीं है और मामला न तो सच है और न ही झूठ।
एक बार जब ऐसी रिपोर्ट संबंधित निचली अदालत के समक्ष दायर कर दी जाती है तो मामले में शिकायतकर्ता उसे चुनौती दे सकता है और सभी पक्षों को सुनने के बाद अदालत क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार या अस्वीकार कर सकती है।
पिछले वर्ष वानखेड़े ने अपने वकील राजीव चव्हाण के माध्यम से उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की थी, जिसमें अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के प्रावधानों के तहत पूर्व मंत्री मलिक के खिलाफ दाखिल उनकी शिकायत पर पुलिस पर कोई कार्रवाई न करने का आरोप लगाया गया था।
करदाता सेवा महानिदेशालय (डीजीटीएस) में अतिरिक्त आयुक्त और महार अनुसूचित जाति के सदस्य वानखेड़े ने मामले को सीबीआई को सौंपे जाने का अनुरोध किया था।
पीठ ने 14 जनवरी के अपने आदेश में याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि पुलिस के बयान के अनुसार इसमें विचार करने योग्य कुछ भी नहीं है। इस आदेश की प्रति मंगलवार को उपलब्ध हुई।
हालांकि, अदालत ने कहा कि वानखेड़े कानून के अनुसार उचित मंच के समक्ष उचित कदम उठा सकते हैं।
भाषा शोभना वैभव
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