मुंबई, 21 सितंबर (भाषा) टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान (टीआईएसएस) के विद्यार्थियों ने आरोप लगाया है कि पीएचडी छात्र रामदास प्रिंसी शिवानंदन के निलंबन के विरोध में संस्थान के दीक्षांत समारोह में किए गए प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने छात्रों के खिलाफ कार्रवाई की।
शहरी नीति एवं शासन में स्नातकोत्तर सारा बर्धन और श्रेयस वलसन तथा अन्य द्वारा हस्ताक्षरित एक बयान में कहा गया कि छात्रों ने उन 119 शिक्षकों और कर्मचारियों के साथ भी एकजुटता दिखाने के लिए शुक्रवार को प्रदर्शन किया जिनकी ‘‘नौकरी 31 दिसंबर तक जा सकती है या जो पहले ही नौकरी खो चुके हैं।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि छात्र बिना कोई बाधा पैदा किए शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे थे, इसके बावजूद प्रशासन ने छात्रों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का प्रयोग न करने से बार-बार रोका और दीक्षांत समारोह स्थल पर कई पुलिसकर्मियों को तैनात किया।
छात्रों ने कहा, ”हमने दलित पीएचडी छात्र और कार्यकर्ता रामदास प्रिंसी शिवानंदन और 31 दिसंबर तक नौकरी गंवा सकने या पहले ही नौकरी खो चुके 119 शिक्षकों एवं कर्मचारियों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए तख्तियां लेकर प्रदर्शन किया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘रामदास प्रिंसी शिवानंदन को मनमाने ढंग से निलंबित कर दिया गया जिसके कारण वह पिछले 156 दिनों से पढ़ाई से वंचित हैं।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि कि जब महिला अध्ययन विषय में एमए के छात्र अर्घ्य दास ने शिवानंदन के निलंबन को रद्द करने और शिक्षकों एवं कर्मचारियों की नौकरी की सुरक्षा की मांग करते हुए एक तख्ती उठाकर विरोध जताया तो उसे सुरक्षा गार्ड और पुलिस ने जबरन मंच से उतार दिया।
छात्रों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने समारोह समाप्त होने तक छात्र को हिरासत में रखा तथा उसके सभी डिग्री प्रमाण पत्र छीन लिए।
टीआईएसएस ने अप्रैल में शिवानंदन को उन गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में दो साल के लिए निलंबित कर दिया था जो ‘‘राष्ट्र के हित में नहीं हैं।’’
भाषा प्रीति सिम्मी
सिम्मी