समय आ गया है कि सरकार ‘व्यावसायीकरण मंत्र’ की जगह खेलों को समान महत्व दे: उच्च न्यायालय

समय आ गया है कि सरकार ‘व्यावसायीकरण मंत्र’ की जगह खेलों को समान महत्व दे: उच्च न्यायालय

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  • Publish Date - July 2, 2024 / 08:24 PM IST,
    Updated On - July 2, 2024 / 08:24 PM IST

मुंबई, दो जुलाई (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने कहा है कि खेल लोगों और राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और समय आ गया है कि सरकार ‘व्यावसायीकरण के मंत्र’ की जगह इसे भी समान महत्व दे।

न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी और न्यायमूर्ति जितेंद्र जैन की पीठ ने सोमवार को कहा कि एक प्रगतिशील राष्ट्र कभी भी समाज की ऐसी जरूरतों से अनजान नहीं रह सकता।

पीठ ने महाराष्ट्र सरकार के 2021 के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें नवी मुंबई में 20 एकड़ भूखंड को ‘सरकारी खेल परिसर’ के लिए छोड़ दिया गया था और इसे मौजूदा स्थल से 115 किलोमीटर दूर रायगढ़ जिले के मानगांव में एक दूरस्थ स्थान पर स्थानांतरित कर दिया गया था।

वर्ष 2003 में इस भूखंड को खेल परिसर के लिए चिह्नित किया गया था। 2016 में, योजना प्राधिकार ने इसका एक हिस्सा आवासीय और व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए एक निजी डेवलपर को आवंटित कर दिया।

उच्च न्यायालय ने कहा कि अधिकारियों को खुले स्थानों, खेल के मैदानों और खेल परिसरों के लिए न केवल वर्तमान, बल्कि नागरिकों के भविष्य के अधिकारों के प्रति भी सजग रहने की आवश्यकता है।

पीठ ने कहा, ‘‘हम मुंबई जैसे महानगरों, नवी मुंबई या आसपास के क्षेत्रों की वर्तमान दुर्दशा को देख सकते हैं, जहां इन सार्वजनिक स्थलों के लिए निर्धारित भूमि पर कंक्रीट का जाल बिछा दिया गया और व्यावसायिक दोहन को बढ़ावा दिया गया है, जिसे निश्चित रूप से कम किया जाना चाहिए।’’

पीठ ने कहा कि सरकारी खेल परिसर बच्चों और युवाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, जो शहरी क्षेत्रों में आबादी का बड़ा हिस्सा हैं। पीठ ने कहा कि युवाओं को बेहतरीन खेल सुविधाओं से वंचित करना पूरी तरह से जनहित के खिलाफ है।

उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘खेल नागरिकों और राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और समय आ गया है कि सरकार भी इस तथ्य के प्रति सचेत हो जाए। समय आ गया है कि इन मुद्दों को भी व्यावसायीकरण और कंक्रीट का जाल बिछाने के मंत्र से अधिक महत्वपूर्ण माना जाए।’’

यह आदेश इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ आर्किटेक्ट, नवी मुंबई सेंटर द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनाया गया, जिसमें नवी मुंबई के घनसोली से खेल परिसर को मानगांव स्थानांतरित करने के राज्य सरकार के फैसले को चुनौती दी गई थी।

याचिका में नगर एवं औद्योगिक विकास निगम लिमिटेड (सिडको) द्वारा भूखंड का एक हिस्सा आवासीय और वाणिज्यिक विकास के लिए एक निजी डेवलपर को आवंटित करने के निर्णय को भी चुनौती दी गई।

अदालत ने प्रस्तावित खेल परिसर को स्थानांतरित करने के सरकार के फैसले को रद्द कर दिया और सिडको को तत्काल जमीन सरकार को सौंपने का निर्देश दिया। हालांकि, सिडको द्वारा फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अपील दायर करने के लिए समय मांगे जाने पर पीठ ने अपने आदेश पर चार सप्ताह के लिए रोक लगा दी।

पीठ ने फैसले में कहा, ‘‘एक प्रगतिशील राष्ट्र कभी भी समाज की ऐसी जरूरतों से अनजान नहीं रह सकता है…युवाओं और बच्चों को खेलों के प्रति प्रोत्साहित करना कल्याणकारी राष्ट्र का गंभीर दायित्व होना चाहिए। यह एक मजबूत और स्वस्थ समाज बनाने में भी योगदान देता है।’’

भाषा आशीष दिलीप

दिलीप