मुंबई । शिवसेना पर नियंत्रण को लेकर उद्धव ठाकरे और बागी विधायक एकनाथ शिंदे के दरम्यान जारी खींचतान के बीच पार्टी के नेता संजय राउत ने शनिवार को बागी विधायकों को विधानसभा की सदस्यता छोड़कर नए सिरे से चुनाव का सामना करने की चुनौती दी। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जो वापस आना चाहते हैं, उनके लिए पार्टी के द्वार खुले हैं। उन्होंने आशा व्यक्ति की शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस की महाविकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार वर्तमान संकट से बाहर निकल जाएगी। शिवसेना के अधिकतर विधायकों ने शिंदे का समर्थन किया है और वे फिलहाल गुवाहाटी में हैं। उनके विद्रोह के चलते शिवसेना प्रमुख व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली राज्य सरकार संकट में पड़ गई है।
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राउत ने यहां पत्रकारों से कहा, ”विद्रोहियों को मेरी खुली चुनौती है कि वे इस्तीफा दें और अपने मतदाताओं से नए सिरे से जनादेश मांगें। अतीत में, छगन भुजबल, नारायण राणे और उनके समर्थकों ने अन्य दलों में शामिल होने के लिए शिवसेना विधायक के रूप में इस्तीफा दे दिया था। यहां तक कि मध्य प्रदेश में (केंद्रीय मंत्री) ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों ने (मार्च 2020 में) कांग्रेस विधायकों के रूप में इस्तीफा दे दिया था। ” उन्होंने कहा कि शिवसेना के नेता और कार्यकर्ता तैयार हैं और नेतृत्व के संकेत का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने संकेत दिया कि पार्टी विद्रोहियों से निपटने के लिए तैयार है।
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इससे पहले, उन्होंने ट्वीट कर कहा कि आखिर कब तक वे (विधायक) असम के गुवाहाटी में ‘‘छिपे’’ रहेंगे, आखिरकार उन्हें ‘‘चौपाटी’’ (मुंबई के संदर्भ में) आना ही होगा। शिवसेना सांसद राउत ने ट्वीट किया, ‘‘कब तक छुपोगे गुवाहाटी में, आना ही पड़ेगा चौपाटी में।’’ दक्षिण मुंबई में मंत्रालय (राज्य सचिवालय), विधान भवन (विधायिका परिसर), राजभवन और मुख्यमंत्री का आधिकारिक बंगला ‘वर्षा’ सहित प्रमुख सरकारी प्रतिष्ठान गिरगाम समुद्र तट के आसपास के क्षेत्र में स्थित हैं, जिसे गिरगाम चौपाटी भी कहा जाता है।
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महाराष्ट्र विधानमंडल सचिवालय ने शनिवार को शिंदे सहित शिवसेना के 16 बागी विधायकों को अयोग्य करार देने की मांग को लेकर दी गई अर्जी के आधार पर उन्हें ‘समन’ जारी कर 27 जून की शाम तक लिखित जवाब मांगा है। पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने उद्धव ठाकरे को बागी विधायकों के खिलाफ कार्रवाई के लिए अधिकृत किया है।
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