सायन अस्पताल के मां के दूध बैंक ने पांच वर्षों में 10 हजार से ज्यादा नवजात की मदद की

सायन अस्पताल के मां के दूध बैंक ने पांच वर्षों में 10 हजार से ज्यादा नवजात की मदद की

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  • Publish Date - September 28, 2024 / 04:07 PM IST,
    Updated On - September 28, 2024 / 04:07 PM IST

(तलिम अंसारी)

मुंबई, 28 सितंबर (भाषा) नगर निगम द्वारा संचालित सायन अस्पताल को पिछले पांच वर्षों में 43,000 से अधिक माताओं ने अपना दूध दान किया है। बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) ने यह जानकारी दी।

सायन अस्पताल में एशिया का पहला ‘ब्रेस्ट मिल्क’ बैंक बनाया गया है।

अगस्त में राष्ट्रीय स्तनपान माह के दौरान नगर निगम द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, स्तनपान कराने वाली 43,412 माताओं के दान से 10,523 नवजात शिशुओं को मदद मिली है।

दान किया गया मां का दूध समय पूर्व जन्मे कम वजनी और जोखिम वाले शिशुओं में मृत्यु दर में कमी लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

सायन अस्पताल के डीन डॉ. मोहन जोशी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, “इस बैंक की शुरुआत 1989 में आर्मिडा फर्नांडिस ने की थी और इसे टाटा समूह की इंडियन होटल्स कंपनी लिमिटेड से एक लाख रुपये का दान मिला था। उस समय अजीत केरकर इस कंपनी के अध्यक्ष थे। यह एशिया का पहला मां के दूध का बैंक है।”

उन्होंने बताया कि मां का दूध खास होता है क्योंकि इसमें हीमोग्लोबिन और नवजात शिशु के विकास के लिए जरूरी विटामिन होते हैं। मां के दूध बैंक में दान किये जाने वाले दूध से कम वजन वाले व अपर्याप्त विकास वाले शिशुओं और प्रसवोत्तर जटिलताओं के कारण स्तनपान न करा पाने वाली महिलाओं के शिशुओं को मदद मिली है।

यह अस्पताल अब पश्चिमी भारत के चिकित्सा प्रतिष्ठानों को इसी तरह के दूध बैंक स्थापित करने में मदद कर रहा है।

‘नियोनेटोलॉजी’ विभाग की प्रमुख डॉ. स्वाति मानेरकर ने बताया, इस दूध बैंक का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि मां के दूध की कमी के कारण कोई भी शिशु अपनी जान न गंवाए। हम दाताओं से दूध लेते समय सभी सुरक्षा सावधानियां बरतते हैं। हम स्तनपान कराने वाली माताओं से संपर्क करते हैं, जो अपने बच्चों को दूध पिलाने के बाद अस्पताल को अपना दूध दे सकती हैं।”

डॉ. मानेरकर ने बताया कि दूध चिकित्सकों की सलाह पर ही दिया जाता है। उन्होंने कहा, ”यह दूध बैंक हर साल लगभग 2,000 से 2,500 नवजात शिशुओं की मदद करता है।”

भाषा जितेंद्र पवनेश

पवनेश