मुंबई, 24 दिसंबर (भाषा) मशहूर फिल्मकार श्याम बेनेगल ने गायिका प्रीति सागर से अपनी आखिरी मुलाकात में उनसे ‘मंथन’ के लोकप्रिय गाने ‘मेरो गाम काथा पारे…’ की कुछ पंक्तियां गुनगुनाने का अनुरोध किया था। 1983 में प्रदर्शित बेनेगल की ‘मंथन’ इस साल मई में आयोजित कान फिल्म समारोह में दिखाई गई थी।
बेनेगल (90) का सोमवार शाम को मुंबई के वॉकहार्ट अस्पताल निधन हो गया। वह गुर्दे की गंभीर बीमारी से पीड़ित थे।
सागर ने बेनेगल की कई फिल्मों के लिए यादगार गीत गाए थे, जिनमें ‘निशांत’, ‘मंथन’, ‘भूमिका’, ‘कलयुग’ और ‘मंडी’ शामिल हैं। उन्होंने बताया कि बेनेगल अपने जीवन के आखिरी महीनों में काफी कमजोर हो गए थे, लेकिन उनकी याददाश्त तब भी बहुत तेज थी।
‘पीटीआई-भाषा’ के साथ साक्षात्कार में सागर ने कहा, “मैं ‘मंथन’ की दोबारा रिलीज के सिलसिले में इरोज में उनसे मिली थी। इससे पहले मैं उनके दफ्तर गई थी, जहां उन्होंने कहा था, “मैं ‘मंथन’ के गाने की दो पंक्तियां फिर से सुनना चाहता हूं।” मैंने चंद पंक्तियां गुनगुनाईं, जिससे वह काफी खुश हुए। आखिरी समय में वह बहुत कमजोर हो गए थे। हालांकि, उनकी याददाश्त पहले जैसे ही तेज थी और उनकी चिरपरिचित दिलकश मुस्कान भी बरकरार थी।”
सागर ने कहा, “श्याम अंकल एक दिग्गज फिल्मकार और सब पर प्यार लुटाने वाले अद्भुत एवं जमीन से जुड़े हुए इंसान थे, जो हमेशा मुस्कुराते रहते थे। उनकी मुस्कान सबसे खूबसूरत थी। हमने एक महान शख्सियत खो दी है।”
सागर ने बेनेगल के साथ अपनी पहली मुलाकात को याद करते हुए कहा कि उस वक्त वह विज्ञापनों के लिए गीत (जिंगल) गाती थीं। उन्होंने कहा, “मैं श्याम अंकल के विज्ञापनों के लिए गाने लगी। समय बीतने के साथ वह फिल्में बनाने लगे और मुझसे अपनी फिल्मों के लिए गाने को कहा।”
सागर ने बताया कि शास्त्रीय संगीत में पारंगत न होने के बावजूद बेनेगल ने उन्हें अपनी पारंपरिक शैली से बाहर निकालने और‘निशांत’ के अर्ध-शास्त्रीय गीत ‘पिया बाज पियाला पिया जाए ना’ को आवाज देने के लिए प्रोत्साहित किया।
सागर ‘मंथन’ के ‘मेरो गाम काथा पारे…’ गाने को अपने दिल के सबसे करीब मानती हैं। उन्हें इस गाने के लिए सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायिका के फिल्मफेयर पुरस्कार से नवाजा गया था।
सागर ने कहा, “सत्यजीत रे के बाद श्याम अंकल ही थे, जिन्होंने समानांतर सिनेमा से दुनियाभर में शोहरत हासिल की। वह एक दूरदर्शी व्यक्ति थे, जिन्होंने शबाना आज़मी, नसीरुद्दीन शाह और स्मिता पाटिल जैसे कलाकारों की प्रतिभा को निखारा। केवल एक दूरदर्शी व्यक्ति को अपनी पसंद पर इतना भरोसा होता है।”
भाषा पारुल पवनेश
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