मुंबई। #SarkaronIBC24 महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की जंग इस बार दिलचस्प होने वाली है…एक-एक वोट के लिए अभी से जोर आजमाइश देखने को मिल रही है.. सरकार आचार संहिता लागू होने से पहले ताबड़तोड़ फैसले ले रही है.. इसी क्रम में सरकार ने मदरसा टीचर्स का वेतन कई गुना बढ़ाकर सबको हैरान कर दिया.. मुस्लिम वोटों को साधने के लिए ये बीजेपी और शिवसेना सरकार का बड़ा दांव माना जा रहा है..
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महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार ने चुनाव से चंद महीने पहले एक ऐसा फैसला लिया जिसने हर किसी को चौका दिया.. सरकार ने मदरसों में पढ़ाने वाले शिक्षकों को वेतन में बंपर बढ़ोतरी करते हुए इसे ढाई गुना से ज्यादा बढ़ा दिया है.. अब मदरसों में पढ़ाने वाले डी.एड. शिक्षकों को 6 हजार की जगह 16 हजार और बी.एड. शिक्षकों को 8 की जगह 18 हजार रुपये वेतन दिया जाएगा.. शिंदे सरकार और बीजेपी इसे समय की जरुरत बताकर जायज ठहरा रही है…
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मदरसों में पढ़ाने वालों शिक्षकों में इस फैसले से जहां खुशी का माहौल है.. तो दूसरी तरफ सियासी पारा भी चढ़ गया है… शिवसेना UBT ने निशाना साधते हुए इसे सरकार का दोहरा चरित्र बताया और कहा कि अगर हमारी सरकार ये फैसला लेती तो उसे वोट जिहाद करार दिया जाता..
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की जंग इस बार किसी भी दल के लिए आसान नहीं रहने वाली.. यही वजह है कि शिंदे सरकार ने मुस्लिम वोटों को साधने के लिए ये दांव चला है… महाराष्ट्र की बहुदलीय राजनीति में मुस्लिम वोट भी अब अहम हो चुका है.. इसके संकेत तभी मिलने लगे थे जब NCP नेता अजीत पवार ने अल्पसंख्यकों और मुसलमानों के लिए 10 फीसदी टिकट रिजर्व रखने का ऐलान किया था.. हालांकि ये देखना दिलचस्प होगा की महाराष्ट्र चुनाव में बीजेपी और शिंदे गुट की शिवसेना को इस फैसले का कितना फायदा मिलता है..
ब्यूरो रिपोर्ट आईबीसी24