सलमान गोलीबारी मामले के आरोपियों का इरादा अनमोल बिश्नोई के इशारे पर हत्या करना था: अदालत

सलमान गोलीबारी मामले के आरोपियों का इरादा अनमोल बिश्नोई के इशारे पर हत्या करना था: अदालत

  •  
  • Publish Date - October 21, 2024 / 09:18 PM IST,
    Updated On - October 21, 2024 / 09:18 PM IST

मुंबई, 21 अक्टूबर (भाषा) ‘‘बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान के घर के बाहर गोलीबारी करने के आरोप में गिरफ्तार शूटरों ने ऐसा जेल में बंद गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के भाई अनमोल के उकसावे पर उन्हें मारने के ‘‘इरादे या जानकारी’’ के साथ किया था।’’ यह बात मुंबई की एक अदालत ने मामले के एक आरोपी को जमानत देने से इनकार करते हुए कही।

महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के तहत मामलों के विशेष न्यायाधीश बी डी शेलके ने 18 अक्टूबर को शूटर विक्की गुप्ता को जमानत देने से इनकार कर दिया था। इस मामले में तर्कसंगत आदेश सोमवार को उपलब्ध कराया गया।

गुप्ता और उसके सहयोगी सागर पाल ने 14 अप्रैल की सुबह बांद्रा पश्चिम में अभिनेता खान के गैलेक्सी अपार्टमेंट निवास के पास गोलीबारी की थी।

आदेश में, न्यायाधीश शेलके ने कहा कि प्राथमिकी स्पष्ट रूप से यह दर्शाती है कि दो व्यक्ति मोटरसाइकिल पर आए थे और मोटरसाइकिल पर पीछे बैठे व्यक्ति ने खान के घर की पहली मंजिल पर गोलियां चलाई थीं।

अदालत ने कहा, ‘‘पीड़ित (खान) का बयान दर्शाता है कि एक सेलिब्रिटी होने की वजह से समाज में उसके कई प्रशंसक हैं और वह उनका अभिवादन करने के लिए अपने घर की पहली मंजिल पर स्थित गैलरी में आते थे। यहां तक ​​कि सुबह के समय भी वह अपने घर की पहली मंजिल पर स्थित गैलरी में ही रहते थे।’’

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि खान के बयान और इस स्तर पर प्राथमिकी से संकेत मिलता है कि ‘‘गोली उनके (सलमान खान) घर में उनके उपयोग के स्थान की दिशा में चलाई गई थी।’’

आदेश में कहा गया है कि गुप्ता और वांछित आरोपी एवं जेल में बंद गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के छोटे भाई अनमोल बिश्नोई के बीच कॉल रिकॉर्डिंग का प्रतिलेख अभियोजन पक्ष द्वारा रिकॉर्ड पर रखा गया है।

अदालत ने कहा, ‘‘इससे पता चलता है कि वांछित आरोपी अनमोल बिश्नोई के उकसावे और निर्देशों के अनुसार, आरोपी नंबर-एक (गुप्ता) और दो (सागर पाल) ने ये कृत्य किए हैं।’’

पुलिस द्वारा दाखिल आरोप-पत्र में लॉरेंस बिश्नोई को वांछित आरोपी के रूप में दर्शाया गया है।

विशेष न्यायाधीश ने रेखांकित किया कि जमानत पर निर्णय लेते समय सबसे महत्वपूर्ण प्रथम दृष्टया साक्ष्य आरोपी का इकबालिया बयान होता है।

अदालत ने कहा कि गुप्ता के बयान से पता चलता है कि वह पाल के संपर्क में आया और फिर वांछित आरोपियों के गिरोह में शामिल हो गया।

आदेश में उल्लेख किया गया है कि गुप्ता ने इस गिरोह में शामिल होने के बारे में सभी विवरण बताए हैं और पूरी घटना का वर्णन किया है कि कैसे उसने रेकी की और गोलीबारी का षड्यंत्र रचा।

अदालत ने कहा कि आरोपियों के इकबालिया बयान और साक्ष्यों से यह स्पष्ट है कि आरोपी नंबर-एक (गुप्ता) और आरोपी नंबर-दो (पाल) ने अन्य वांछित आरोपियों और गिरोह के नेता के साथ मिलकर पीड़ित की हत्या की साजिश रची थी और उन्हें पता था कि उन्होंने एक आपराधिक कृत्य किया है।

गुप्ता के खिलाफ मकोका लगाए जाने पर अदालत ने कहा कि आरोपी केवल इस आधार पर अधिनियम के तहत दंडनीय अपराधों से बच नहीं सकता कि उसका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है।

अदालत ने कहा कि इस मामले में वांछित आरोपी लॉरेंस बिश्नोई और अनमोल बिश्नोई के खिलाफ दायर आरोप-पत्रों पर संज्ञान लिया जा सकता है (गुप्ता के खिलाफ मकोका लगाने के लिए)।

अदालत ने कहा कि इकबालिया बयान सहित रिकॉर्ड पर रखी गई सामग्री से इस स्तर पर स्पष्ट रूप से पता चलता है कि वह अपराध में शामिल है।

विशेष न्यायाधीश ने कहा कि अपराध की प्रकृति को देखते हुए गिरोह का सदस्य होने के कारण इसी तरह के अपराधों की पुनरावृत्ति की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

न्यायाधीश शेलके ने अपने आदेश में कहा कि आरोपी जमानत का हकदार नहीं है।

गुप्ता, पाल, सोनू कुमार बिश्नोई, मोहम्मद रफीक चौधरी और हरपाल सिंह फिलहाल गोलीबारी मामले में न्यायिक हिरासत में हैं। एक अन्य आरोपी अनुज कुमार थापन ने पुलिस हिरासत में आत्महत्या कर ली थी।

भाषा अमित सुरेश

सुरेश