मुंबई, 29 अगस्त (भाषा) छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा ढहने की घटना को लेकर आलोचनाओं से घिरे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बृहस्पतिवार को कहा कि यदि जरूरत पड़ी तो वह इस पराक्रमी शासक के 100 बार पैर छूने और घटना के लिए माफी मांगने में संकोच नहीं करेंगे।
यहां संवाददाताओं से बातचीत करते हुए शिंदे ने कहा कि विपक्ष के पास राजनीति करने के लिए अन्य मुद्दे भी हैं, लेकिन महाराष्ट्र में पूजनीय शिवाजी महाराज को इससे दूर रखा जाना चाहिए।
सिंधुदुर्ग जिले में चार दिन पहले मूर्ति गिरने की घटना के कारण गर्मागर्मी के बीच राज्य सरकार ने दुर्घटना के कारणों का पता लगाने के लिए एक तकनीकी समिति गठित की है, जबकि उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के नेतृत्व में सत्तारूढ़ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के सदस्यों ने घटना के विरोध में पूरे महाराष्ट्र में मौन विरोध प्रदर्शन किया।
शिंदे ने जोर देकर कहा, ‘छत्रपति शिवाजी महाराष्ट्र के संरक्षक देवता हैं। मैं 100 बार उनके पैर छूने और (मूर्ति टूटने की घटना के लिए) माफी मांगने को तैयार हूं। मैं माफी मांगने से पीछे नहीं हटूंगा। हमारी सरकार उनके (शिवाजी के) आदर्शों को ध्यान में रखकर काम करती है।’
उनकी यह टिप्पणी अजित पवार द्वारा राज्य के लोगों से प्रतिमा ढहने के लिए माफी मांगने के एक दिन बाद आई है। इसे मुंबई से लगभग 480 किलोमीटर दूर तटीय जिले की मालवण तहसील में स्थापित किया गया था।
राजकोट किला परिसर में स्थापित 17वीं सदी के मराठा साम्राज्य के संस्थापक की 35 फुट ऊंची प्रतिमा का अनावरण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया था। अनावरण किए जाने के करीब नौ महीने बाद 26 अगस्त को यह ढह गई जिसके बाद राज्य में राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया था, जहां अगले कुछ महीनों में चुनाव होने हैं।
राज्य सरकार ने बताया है कि इस परियोजना का संचालन भारतीय नौसेना द्वारा किया गया था।
भारतीय नौसेना ने बृहस्पतिवार को कहा कि उसने इस सप्ताह महाराष्ट्र के मालवण में ढही शिवाजी की प्रतिमा स्थापित करने की परियोजना की संकल्पना की थी और राज्य सरकार के साथ समन्वय में इसे कार्यान्वित किया था तथा राज्य सरकार ने इसके लिए धन भी उपलब्ध कराया।
नौसेना ने एक बयान में कहा कि वह प्रतिमा की मरम्मत करने और यथाशीघ्र उसकी पुनःस्थापना के लिए सभी कदमों में सहायता करने को प्रतिबद्ध है।
बुधवार को देर रात मंत्रियों, राज्य के शीर्ष अधिकारियों और नौसेना के अधिकारियों के साथ शिंदे की बैठक के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि सरकार ने शिवाजी महाराज की मूर्ति के ढहने के कारणों की जांच के लिए एक तकनीकी समिति गठित की है।
समिति में इंजीनियर, आईआईटी विशेषज्ञ और नौसेना के अधिकारी शामिल होंगे।
शिंदे ने बताया कि दो संयुक्त समिति बनायी गयी है। एक समिति दुर्घटना के पीछे के कारणों का पता लगाएगी, जबकि दूसरी समिति में विशेषज्ञ, छत्रपति शिवाजी की मूर्तियां बनाने का अनुभव रखने वाले मूर्तिकार, इंजीनियर और नौसेना के अधिकारी शामिल होंगे जो पुनर्निर्माण के पहलू पर विचार करेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘हमारा प्रयास प्रतिमा का पुनर्निर्माण करना है।’
शिंदे ने कहा कि नौसेना ने मांग की है कि जिस क्षेत्र में प्रतिमा स्थापित की गई है उसे निरीक्षण के लिए घेर कर अलग कर दिया जाए और पुनर्निर्माण कार्य शुरू किया जाए।
संबंधित घटनाक्रम को लेकर मराठा संगठन संभाजी ब्रिगेड के कार्यकर्ताओं ने निकटवर्ती ठाणे शहर में मूर्ति बनाने वाले मूर्तिकार जयदीप आप्टे के घर के बाहर विरोध प्रदर्शन किया।
महायुति सरकार के घटक दल राकांपा ने प्रतिमा के शीघ्र पुनर्निर्माण की मांग को लेकर राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन किया।
नांदेड़ में अजित पवार की जनसम्मान यात्रा के दौरान राकांपा की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष सुनील तटकरे ने कहा कि शिवाजी महाराज की प्रतिमा गिर जाना दुखद है और उनकी पार्टी ने घटना के खिलाफ प्रदर्शन करने का फैसला किया है क्योंकि सभी को ऐसा करने का अधिकार है।
उन्होंने कहा, ‘‘लोकतंत्र में सभी को आंदोलन का अधिकार है। मालवण में शिवाजी महाराज की प्रतिमा गिरने की घटना दुर्भाग्यपूर्ण और दुखद है। हम इसके खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं और अधिकारियों को ज्ञापन सौंपकर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।’’
पुणे में राकांपा की नगर इकाई ने शिवाजीनगर में शिवाजी महाराज की प्रतिमा के पास विरोध प्रदर्शन किया।
मध्य महाराष्ट्र के लातूर शहर में राकांपा (शरदचंद्र पवार) के कार्यकर्ताओं ने मूर्ति ढहने की घटना को लेकर विरोध प्रदर्शन किया।
विपक्षी नेताओं ने घोषणा की है कि एक सितंबर को महा विकास अघाडी (एमवीए) मूर्ति ढहने की घटना के खिलाफ मुंबई में विरोध जुलूस निकालेगी।
भाषा
शुभम माधव
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