पुणे, दो अगस्त (भाषा) पुणे की एक अदालत ने कथित धोखाधड़ी के एक मामले में आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे के खिलाफ जारी गैर-जमानती वारंट शुक्रवार को निरस्त कर दिया।
जरांगे 23 जुलाई को अदालत में पेश नहीं हुए थे जिसके बाद न्यायिक मजिस्ट्रेट (प्रथम श्रेणी) की अदालत ने 2013 के धोखाधड़ी के एक मामले में उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था।
आरक्षण कार्यकर्ता शुक्रवार को न्यायिक मजिस्ट्रेट (प्रथम श्रेणी) के समक्ष पेश हुए और उनके वकील हर्षद निंबालकर ने एक अर्जी दाखिल करके गैर जमानती वारंट निरस्त करने का अनुरोध किया।
अदालत ने अर्जी स्वीकार कर ली और जरांगे के खिलाफ जारी गैर जमानती वारंट को रद्द कर दिया।
वकील निंबालकर ने कहा, ‘‘हमने एक याचिका दायर की और अदालत को बताया कि चूंकि जरांगे उस दिन (23 जुलाई) अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर थे, इसलिए वह अदालत के सामने पेश नहीं हो सके।’’
उन्होंने कहा कि जरांगे ने 24 जुलाई को अनिश्चितकालीन अनशन समाप्त कर दिया और वह स्वास्थ्य कारणों से अदालत आने की स्थिति में नहीं थे।
वकील ने कहा कि जरांगे एंबुलेंस में अदालत पहुंचे क्योंकि वह पूरी तरह से स्वस्थ नहीं थे।
उन्होंने अनिश्चितकालीन अनशन के बाद कार्यकर्ता के अस्पताल में भर्ती होने से संबंधित मेडिकल रिकॉर्ड भी पेश किए।
वकील ने कहा, ‘‘इन तथ्यों पर विचार करते हुए अदालत ने गैर जमानती वारंट निरस्त कर दिया। मामले की अगली सुनवाई के लिए तीन सितंबर की तारीख तय की गयी है।’’
जरांगे और दो अन्य के खिलाफ 2013 में भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी) और 406 (आपराधिक विश्वासघात) के तहत मामला दर्ज किया गया था।
जरांगे और सह-आरोपियों ने 2012 में शिकायतकर्ता से संपर्क किया था। यह व्यक्ति छत्रपति शिवाजी महाराज और छत्रपति संभाजी महाराज पर नाटकों का मंचन करता था और उन लोगों ने उसे जालना जिले में ‘‘शंभुराजे’’ नाटक के छह शो करने तथा उसे 30 लाख रुपये की पेशकश की थी।
मामले के अनुसार, 16 लाख रुपये का भुगतान तो कर दिया गया लेकिन बाकी पैसे को लेकर कुछ विवाद हुआ जिसके बाद शिकायत दर्ज कराई गई। इसके बाद अदालत ने पुलिस को मामला दर्ज करने का आदेश दिया था।
भाषा
शुभम नेत्रपाल
नेत्रपाल