जमानत पर पीएमएलए के तहत पाबंदियां स्वतंत्रता के मूल अधिकार को खत्म नहीं कर सकतीं :उच्च न्यायालय

जमानत पर पीएमएलए के तहत पाबंदियां स्वतंत्रता के मूल अधिकार को खत्म नहीं कर सकतीं :उच्च न्यायालय

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  • Publish Date - September 21, 2024 / 09:14 PM IST,
    Updated On - September 21, 2024 / 09:14 PM IST

मुंबई, 21 सितंबर (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने 72 वर्षीय एक व्यक्ति को जमानत देते हुए कहा है कि धनशोधन अधिनियम (पीएमएलए) की कठोर शर्तें अनुच्छेद 21 के तहत स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार को खत्म नहीं कर सकती हैं।

न्यायमूर्ति माधव जामदार ने 19 सितंबर को अपने आदेश में कहा कि कथित बैंक धोखाधड़ी के मामले में सुनवाई के निकट भविष्य में समाप्त होने की संभावना नहीं है और इस मामले में गिरफ्तार किये गये आवेदक सूर्याजी जाधव कैंसर से ग्रस्त हैं।

इस फैसले की प्रति शनिवार को उपलब्ध हुई।

न्यायमूर्ति जामदार ने कहा कि पीएमएलए जैसे कानूनों के तहत लगायी पाबंदियां वहां ‘निष्प्रभावी’ हो जाती हैं, जहां आरोपी लंबे समय तक सलाखों के पीछे रह चुका हो और मुकदमे की सुनवाई में अत्यधिक देरी हो गयी हो।

न्यायमूर्ति जामदार ने कहा, ‘‘ पीएमएलए की धारा 45 जैसे प्रतिबंधात्मक वैधानिक प्रावधानों के बावजूद भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत किसी आरोपी के अधिकार का उल्लंघन नहीं होने दिया जा सकता।’’

पीएमएलए की धारा 45 के तहत, किसी अदालत को धनशोधन के मामले में आरोपी को जमानत देते समय इस बात से संतुष्ट हो जाना चाहिए कि यह मानने के लिए उचित आधार है कि वह दोषी नहीं है या 60 वर्ष से अधिक उम्र का है, या महिला या बीमार या अशक्त है।

अनुच्छेद 21 जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार की रक्षा करता है।

जाधव को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मार्च 2021 में पुणे स्थित शिवाजीराव भोसले सहकारी बैंक में कथित धोखाधड़ी के आरोप में गिरफ्तार किया था। उनपर तथा अन्य लोगों पर धन के दुरुपयोग तथा धोखाधड़ीपूर्वक ऋण वितरण का आरोप लगाया गया था।

जाधव ने लंबे समय से सलाखों के पीछे रहने और सुनवाई में देरी के अधार पर जमानत मांगी थी।

उच्च न्यायालय ने कहा कि अभियोजन पक्ष द्वारा 250 से अधिक गवाहों का परीक्षण करने का प्रस्ताव है और अबतक सुनवाई शुरू भी नहीं हुई है।

उच्च न्यायालय ने कहा कि जाधव को इस मामले में जितनी अधिकतम सजा हो सकती थी, उसका आधा वह काट चुके हैं।

उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘ऐसी स्थिति में, अनुच्छेद 21 के तहत आरोपी के मौलिक अधिकार की रक्षा के लिए जमानत देने में वैधानिक प्रतिबंध अदालत के आड़े नहीं आएंगे।’’

भाषा राजकुमार दिलीप

दिलीप