मुंबई, पांच अक्टूबर (भाषा) महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बुधवार को कहा कि उनका विद्रोह ‘विश्वासघात’ कतई नहीं था, बल्कि एक ‘बगावत’ थी। उन्होंने शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे से पार्टी संस्थापक बाल ठाकरे के आदर्शों के खिलाफ जाने और कांग्रेस एवं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के साथ गठबंधन करने के लिए उनके (बाल ठाकरे के) स्मारक पर घुटने टेकने और माफी मांगने को कहा।
शिंदे ने दशहरे के अवसर पर बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स के एमएमआरडीए मैदान में एक महारैली को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य में मतदाताओं ने 2019 के विधानसभा चुनावों में शिवसेना और भाजपा को चुना, लेकिन उद्धव ठाकरे ने महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार के गठन के लिए कांग्रेस और राकांपा से हाथ मिलाकर राज्य की जनता को ‘धोखा’ दिया।
उन्होंने कहा कि उनकी दशहरा रैली में भारी भीड़ यह दिखाने के लिए पर्याप्त है कि बाल ठाकरे की विरासत के सच्चे उत्तराधिकारी कौन हैं।
पार्टी के बागी धड़े के मुखिया शिंदे ने पूर्व मुख्यमंत्री ठाकरे की आलोचना करते हुए कहा कि शिवसेना कोई ‘प्राइवेट लिमिटेड कंपनी’ नहीं है और 56 साल पुराने संगठन को शिवसेना के आम कार्यकर्ताओं की कड़ी मेहनत से बनाया गया है।
मुख्यमंत्री ने जून में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व के खिलाफ अपने विद्रोह का बचाव किया। उस बगावत के कारण एमवीए सरकार गिर गयी थी।
शिंदे ने कहा कि उनका विद्रोह ‘विश्वासघात’ नहीं था, बल्कि एक गदर था।
शिवसेना के ठाकरे गुट ने अक्सर विद्रोहियों को ‘गद्दार’ कह कर निशाना बनाया है।
शिंदे की रैली में उद्धव ठाकरे के भाई जयदेव ठाकरे और उनकी तलाकशुदा पत्नी स्मिता ठाकरे ने भाग लिया।
दिवंगत बाल ठाकरे के पोते निहार ठाकरे तथा शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे के लंबे समय तक निजी सहयोगी रहे चंपा सिंह थापा ने भी रैली में हिस्सा लिया।
भाषा सुरेश मनीषा
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