ठाणे में केवल ‘कमल’ ही फूले-फले: एकनाथ शिंदे के गढ़ में भाजपा के मंत्री ने कहा

ठाणे में केवल 'कमल' ही फूले-फले: एकनाथ शिंदे के गढ़ में भाजपा के मंत्री ने कहा

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  • Publish Date - January 29, 2025 / 06:38 PM IST,
    Updated On - January 29, 2025 / 06:38 PM IST

मुंबई, 29 जनवरी (भाषा) महाराष्ट्र के मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के नेता गणेश नाइक ने कहा है कि वह चाहते हैं कि भाजपा ठाणे में फूले-फले जिससे दोनों सहयोगियों (भाजपा-शिवसेना) के बीच खींचतान की अटकलें लगायी जा रही हैं।

ठाणे उपमुख्यमंत्री और शिवसेना अध्यक्ष एकनाथ शिंदे का गढ़ है।

पड़ोसी पालघर जिले के संरक्षक मंत्री नाइक ने मंगलवार को एक कार्यक्रम में कहा कि वह ठाणे में भी जन शिकायत बैठकें आयोजित करेंगे, जिससे यह अटकलें लगाई जाने लगीं कि भाजपा क्षेत्र में शिंदे की पार्टी के प्रभुत्व को चुनौती देने की तैयारी कर रही है।

नाइक ने कहा कि वह ‘लोगों के प्रति प्रेम के कारण’ गडकरी रंगायतन सभागार में ये बैठकें आयोजित करेंगे।

उन्होंने कहा, ‘भाजपा का ध्यान शहर पर है। हम चाहते हैं कि ठाणे में केवल ‘कमल’ (भाजपा का चुनाव चिन्ह) ही फूले-फले। पार्टी ने मुझे शहर की जिम्मेदारी सौंपी है।’

नाइक और शिंदे दोनों ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत शिवसेना से की थी, लेकिन नाइक बाद में राकांपा में शामिल हो गए, जिसका नेतृत्व उस समय शरद पवार कर रहे थे। शिंदे ने 2022 में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व को चुनौती देकर शिवसेना को विभाजित कर दिया।

शिंदे के नेतृत्व वाली पार्टी पहले से ही जिला संरक्षक मंत्री के पदों के आवंटन से नाराज है।

महाराष्ट्र भाजपा अध्यक्ष और राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने बुधवार को नाइक का समर्थन किया।

इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए शिवसेना के मंत्री शंभूराज देसाई ने कहा, ‘मैंने पहले ठाणे के संरक्षक मंत्री के रूप में काम किया है और मुझे शहर और जिले में शिंदे के नेटवर्क के बारे में पता है। ठाणे शिवसेना का गढ़ बना रहेगा। भाजपा नेताओं को अपनी पार्टी का विस्तार करने का अधिकार है, लेकिन कोई इस बात को नजरअंदाज नहीं कर सकता कि शिवसेना ने ऐतिहासिक रूप से जिले में अपना दबदबा बनाए रखा है।’

उन्होंने भाजपा से सीधी चुनौती की संभावना को खारिज करते हुए कहा, ‘शिंदे और नाइक दोनों ही महायुति गठबंधन का हिस्सा रहते हुए अपनी पार्टियों को मजबूत करने के लिए काम कर रहे हैं। स्थिति की गलत व्याख्या करने की कोई जरूरत नहीं है।’

भाषा

शुभम माधव

माधव