उच्च न्यायालय ने कहा, हर नग्न पेंटिंग अश्लील नहीं होती;सूजा और पदमसी की कलाकृतियां लौटाने का आदेश

उच्च न्यायालय ने कहा, हर नग्न पेंटिंग अश्लील नहीं होती;सूजा और पदमसी की कलाकृतियां लौटाने का आदेश

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  • Publish Date - October 25, 2024 / 08:06 PM IST,
    Updated On - October 25, 2024 / 08:06 PM IST

मुंबई, 25 अक्टूबर (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को सीमा शुल्क विभाग को प्रसिद्ध कलाकारों एफ एन सूजा और अकबर पदमसी की कलाकृतियां लौटाने का आदेश देते हुए कहा कि हर नग्न पेंटिंग अश्लील नहीं होती।

इन कलाकृतियों के ‘‘अश्लील सामग्री’’ होने के आधार पर पिछले साल उन्हें जब्त कर लिया गया था।

न्यायमूर्ति एम एस सोनक और न्यायमूर्ति जितेंद्र जैन की पीठ ने कलाकृति जब्त करने संबंधी सीमा शुल्क विभाग के सहायक आयुक्त (मुंबई) के जुलाई 2024 के आदेश को रद्द कर दिया।

उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘सीमा शुल्क के सहायक आयुक्त यह समझने में विफल रहे हैं कि यौन संबंध और अश्लीलता हमेशा एक-दूसरे के पर्याय नहीं होते हैं। अश्लील सामग्री वह है जो कामुकता उत्पन्न करती है। हमारे विचार से, ऐसा आदेश बरकरार नहीं रखा जा सकता और इसे निरस्त करना होगा।’’

पीठ ने सीमा शुल्क विभाग के आदेश के खिलाफ शहर के व्यवसायी और कला पारखी मुस्तफा कराचीवाला की स्वामित्व वाली कंपनी बी के पोलीमेक्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड द्वारा दायर याचिका को स्वीकार कर लिया।

अदालत ने जब्त की गई कलाकृति याचिकाकर्ता को तुरंत लौटाने को कहा।

पीठ ने कहा कि सहायक आयुक्त ने केवल इस तथ्य को ध्यान में रखा था कि कलाकृतियां नग्न थीं और कुछ मामलों में यौन संबंध का चित्रण करती थीं और इसलिए, अश्लील थीं। अदालत ने कहा, ‘‘हर नग्न पेंटिंग या यौन संबंध की कुछ मुद्राओं को दर्शाने वाली हर पेंटिंग को अश्लील नहीं कहा जा सकता।’’

अदालत ने 60 वर्ष पहले उच्चतम न्यायालय द्वारा पारित एक निर्णय का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि (इतालवी मूर्तिकार, चित्रकार एवं वास्तुकार) माइकल एंजेलो के देवदूतों और संतों की पेंटिंग भारत में देखने से पहले उन्हें वस्त्र पहनाने की आवश्यकता नहीं है।

इस सप्ताह की शुरुआत में पीठ ने विभाग को एक जुलाई 2024 के विवादित आदेश के तहत जब्त कलाकृतियों को अगले आदेश तक नष्ट करने से रोक दिया था। याचिका में कहा गया है कि जब्त की गई वस्तुएं प्रसिद्ध कलाकारों एफ एन सूजा और अकबर पदमसी की कलाकृतियां शामिल थीं, जिन्हें भारत सरकार द्वारा प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।

अधिवक्ताओं श्रेयस श्रीवास्तव और श्रद्धा स्वरूप के जरिए दायर याचिका में सवाल उठाया गया था कि सीमा शुल्क विभाग उनकी कलाकृति को अश्लील कैसे मान सकता है।

याचिका में यह भी कहा गया था सीमा शुल्क अधिकारी कला के महत्व को समझने में विफल रहे और कला और अश्लीलता के बीच अंतर नहीं कर सके।

इसमें कहा गया था कि कलाकृतियों को जब्त करने का आदेश भारत के संविधान में निहित मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।

भाषा सुभाष पवनेश

पवनेश