मुंबई, 17 दिसंबर (भाषा) शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के सांसद संजय राउत ने मंगलवार को कहा कि नये मंत्रिपरिषद में शामिल न किए जाने से महायुति के कुछ नेता नाराज हैं, लेकिन देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली सरकार पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा।
राउत ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि मराठा आरक्षण आंदोलन के समय जिस अदृश्य शक्ति ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता छगन भुजबल का समर्थन किया था, उसने उन्हें उसी हाल पर छोड़ दिया है।
भुजबल ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली मंत्रिपरिषद में उन्हें स्थान न देने पर सार्वजनिक रूप से अपनी नाराजगी जाहिर की।
महायुति के सहयोगी दलों के कम से कम पूर्व 10 मंत्रियों को नये मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया, जिसमें छगन भुजबल, भाजपा नेता सुधीर मुनगंटीवार, शिवसेना नेता अब्दुल सत्तार और तानाजी सावंत के अलावा कुछ अन्य विधायक शामिल हैं। वे सभी मंत्री पद मिलने की उम्मीद कर रहे थे।
राउत ने कहा कि जब मनोज जरांगे ने ओबीसी श्रेणी के तहत मराठा समुदाय को आरक्षण देने की मांग के लिए प्रदर्शन किया तो भुजबल ने अतिवादी कदम उठाया।
गौरतलब है कि भुजबल ने ओबीसी समूह के तहत मराठा समुदाय को आरक्षण देने का विरोध किया था और कई रैलियों को संबोधित किया था।
राउत ने कहा कि भुजबल के पीछे की अदृश्य शक्ति ने अब उन्हें अपने हाल पर छोड़ दिया है।
उन्होंने आरोप लगाया कि भुजबल पर उसी अदृश्य शक्ति ने हमला किया है, जिसने अविभाजित शिवसेना को विभाजित करने में एकनाथ शिंदे का समर्थन किया था।
राउत ने नयी दिल्ली में संवाददाताओं से कहा, ‘‘भले ही भुजबल नखरे दिखाएं, लेकिन यह देखना होगा कि उनमें मानसिक और शारीरिक शक्ति कितनी बची है।’’
उन्होंने कहा कि कुछ विधायक मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलने के कारण आंसू बहा रहे हैं लेकिन उन्हें शांत कर दिया जाएगा।
राउत ने कहा, ‘‘वे रोएंगे, लेकिन अंत में चुप हो जाएंगे, क्योंकि एक या दो विधायकों के नाराज होने से राज्य सरकार को कोई खतरा होने की संभावना नहीं है। वे कुछ समय तक रोएंगे, लेकिन उन्हें शांत कर दिया जाएगा।’’
भाषा प्रीति सुरेश
सुरेश