नसीरुद्दीन शाह, शबाना आजमी ने श्याम बेनेगल को स्मृति सभा में याद किया |

नसीरुद्दीन शाह, शबाना आजमी ने श्याम बेनेगल को स्मृति सभा में याद किया

नसीरुद्दीन शाह, शबाना आजमी ने श्याम बेनेगल को स्मृति सभा में याद किया

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Modified Date: December 29, 2024 / 07:38 PM IST
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Published Date: December 29, 2024 7:38 pm IST

(फोटो के साथ)

मुंबई, 29 दिसंबर (भाषा) फिल्मकार श्याम बेनेगल के निधन के कुछ दिन बाद उनके करीबी सहयोगी और मित्र रहे नसीरुद्दीन शाह तथा शबाना आजमी ने उनकी ‘‘बड़ी, गर्मजोशी भरी मुस्कान’’ को याद किया और बताया कि कैसे वह अंत तक अपने रचनात्मक दृष्टिकोण के प्रति समर्पित रहे।

दक्षिण मुंबई के वाई बी चव्हाण केंद्र में शनिवार को स्मृति सभा में जावेद अख्तर, कुलभूषण खरबंदा, इला अरुण, प्रह्लाद कक्कड़, उर्मिला मातोंडकर और दिव्या दत्ता सहित फिल्म उद्योग के कई लोग बेनेगल की याद में एकत्र हुए।

बेनेगल का 23 दिसंबर को किडनी की गंभीर बीमारी के कारण निधन हो गया। उनके परिवार में पत्नी नीरा और बेटी पिया हैं। बेनेगल का 14 दिसंबर को 90वां जन्मदिन था।

वर्ष 1974 में बेनेगल की पहली फीचर फिल्म ‘‘अंकुर’’ से अपने अभिनय करियर की शुरुआत करने वाली आजमी ने कहा कि बेनेगल उनके गुरु थे। आजमी ने कहा, ‘‘वह किसी के गुरु कहलाना नहीं चाहते थे, लेकिन फिर भी वह मेरे गुरु थे। वह मेरे गुरु थे, न केवल इसलिए कि वह मेरे पहले निर्देशक थे, बल्कि उनके साथ रहकर मैंने जीवन के कई सबक सीखे।’’

उन्होंने फिल्मकार को याद करते हुए कहा, ‘‘मैं उनसे हर बार सलाह लेती थी कि मुझे कोई प्रोजेक्ट करना चाहिए या नहीं। वह न तो मेरे गुरु बनना चाहते थे और न ही मेरे ‘मेंटर’। वह मेरे दोस्त थे और बराबरी के थे तथा उन्होंने इस दोस्ती के लिए जगह बनाई। उन्होंने मुझे बराबर सम्मान दिया और खड़े होने की क्षमता दी।’’

अभिनेत्री ने कहा कि बेनेगल के साथ उनकी पहली याद तब की है जब वह 1973 में विज्ञापन एजेंसी एएसपी के कार्यालय में उनसे मिलने गई थीं। बेनेगल ने विज्ञापन पेशेवर के रूप में शुरुआत की थी।

आजमी ने कहा, ‘‘मुझे उनके बारे में जो बात सबसे ज्यादा प्रभावित करती है, वह है उनकी गर्मजोशी भरी मुस्कान, जब मैं उनसे मिलने एएसपी कार्यालय गई थी, जहां वह क्रिएटिव डायरेक्टर थे और ‘अंकुर’ के लिए कलाकारों की तलाश कर रहे थे।’’

‘अंकुर’ के बाद आजमी और बेनेगल ने ‘निशांत’, ‘मंडी’, ‘जुनून’, ‘हरी भरी’, ‘सुस्मान’ और ‘अंतर्नाद’ जैसी कई फिल्मों में साथ काम किया।

उन्होंने कहा, ‘‘श्याम बेनेगल की आखिरी याद 14 दिसंबर, 2024 की है, जब उन्होंने, नीरा और पिया ने उनके 90वें जन्मदिन के लिए एक समारोह का आयोजन किया था। हमारे साथ एक खूबसूरत घंटा बिताने के बाद वह उसी गर्मजोशी भरी मुस्कान के साथ चले गए।’’

बेनेगल के साथ ‘निशांत’, ‘मंथन’ और ‘मंडी’ जैसी क्लासिक फिल्मों में काम कर चुके शाह ने कहा कि बेनेगल एक रचनात्मक व्यक्ति के रूप में अपनी खोज के प्रति सच्चे रहे। उन्होंने कहा, ‘‘मृत्यु जीवन का महत्वहीन हिस्सा है और महत्वपूर्ण यह है कि आप अपने पास मौजूद समय के साथ क्या करते हैं। यह निर्विवाद है कि श्याम बेनेगल ने अपने जीवन के हर पल, सांस और ऊर्जा का एक-एक अंश किसी न किसी तरह की रचनात्मक खोज में इस्तेमाल किया।’’

आजमी ने बेनेगल की निजी ज़िंदगी से जुड़ा एक किस्सा भी साझा किया। उन्होंने कहा, ‘‘बहुत कम लोग जानते हैं कि श्याम बेनेगल एक रोमांटिक इंसान थे। उन्हें पता चला कि नीरा को पीले फूल बहुत पसंद हैं। इसलिए जिस दिन उनकी शादी होनी थी, उन्होंने नीरा को पीले फूलों का एक गुलदस्ता भेजा और उस पर एक संदेश लिखा था-सिर्फ 23 घंटे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘फिर शादी होने तक हर घंटे गुलदस्ता आता रहा। क्या आप कल्पना कर सकते हैं? अगर मैं नीरा होती, तो मैं शादी को स्थगित कर देती, यह बहुत प्यारा एहसास था।’’

स्मृति सभा में, अभिनेता-लेखक अतुल तिवारी ने दिवंगत निर्देशक पर लिखी अपनी पुस्तक ‘मेस्ट्रो-ए ट्रिब्यूट टू श्याम बेनेगल’ उनकी पत्नी और बेटी को भेंट की।

कई विज्ञापन फिल्मों में बेनेगल के सहायक रहे विज्ञापन फिल्मकार कक्कड़ ने कहा कि वह बेनेगल की सराहना करते हैं कि कैसे उन्होंने अभिनेताओं से लेकर लेखकों तक, अपने आस-पास के सभी लोगों को प्रेरित किया।

उन्होंने कहा, ‘‘उनका तरीका यह था कि अगर आप कभी फिल्मकार बनने जा रहे हैं, तो आप कोई पदनाम नहीं रख सकते, आप कभी नहीं कह सकते ‘यह मेरी समस्या नहीं है।’ यही एक चीज है जो उन्होंने हमें सिखाई कि फिल्मों से जुड़ी हर चीज, खाना परोसने से लेकर खाना पकाने, सफाई करने, बढ़ई की देखरेख करने से लेकर लेखकों के साथ बैठने तक सबकुछ आपका काम है।’’

कक्कड़ ने कहा, ‘‘मैं उनकी उदारता और सिखाने, मार्गदर्शन करने और प्रेरित करने की उनकी क्षमता की कल्पना भी नहीं कर सकता। मैंने उन्हें अभिनेताओं, लेखकों और अपने आस-पास के लोगों को वह करने के लिए प्रेरित करते देखा जो वे कर सकते थे। यह हम सभी के लिए सबसे बड़ा उपहार है।’’

भाषा आशीष नेत्रपाल

नेत्रपाल

 

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