एमवीए सरकार लाडकी बहिन योजना और टोल समाप्ति के फैसले को बरकरार रखेगी: आदित्य

एमवीए सरकार लाडकी बहिन योजना और टोल समाप्ति के फैसले को बरकरार रखेगी: आदित्य

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  • Publish Date - October 16, 2024 / 05:54 PM IST,
    Updated On - October 16, 2024 / 05:54 PM IST

मुंबई, 16 अक्टूबर (भाषा) शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता आदित्य ठाकरे ने बुधवार को कहा कि अगर महाराष्ट्र में महाविकास अघाडी (एमवीए) सत्ता में लौटती है तो वह मौजूदा महायुति सरकार की ‘लाडकी बहिन’ योजना और मुंबई के प्रवेश बिंदुओं पर टोल न लेने के फैसले को भी बरकरार रखेगी।

आदित्य ठाकरे ने एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्रियों देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार द्वारा दिन में अपनी सरकार के कामकाज का ब्योरा देने पर कटाक्ष करते हुए कहा कि राज्य के लोगों ने अब उनका ‘निर्वासन कार्ड’ तैयार कर लिया है।

उन्होंने आरोप लगाया, “महायुति सरकार के तहत राज्य से व्यवसाय और नौकरियां बाहर भेज दी गईं।”

ठाकरे ने कहा कि महाविकास अघाडी सरकार बहु-अरब डॉलर की धारावी पुनर्विकास परियोजना की निविदा से परे दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि को खत्म कर देगी।

उन्होंने दावा किया कि धारावी पुनर्विकास परियोजना का क्रियान्वयन कर रहे अडानी समूह को मुंबई में 1,080 एकड़ जमीन दी जा रही है।

महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री ने आरोप लगाया कि चुनाव से पहले मंत्रिमंडल की पिछली कई बैठकों में की गई कई सौगातों की घोषणा की आड़ में सरकार ने अडानी समूह को लाभ पहुंचाने के लिए फैसले लिए हैं।

उन्होंने कहा, “लाडकी बहिन योजना और टोल न लेने का फ़ैसला सरकार ने पहले क्यों नहीं लिया? हम लाडकी बहिन योजना और टोल न लेने के फैसले को बरकरार रखेंगे। इतना ही नहीं हम इसे (लाडकी बहिन योजना के तहत दी जाने वाली वित्तीय सहायता की राशि) बढ़ाएंगे।”

एकनाथ शिंदे सरकार की प्रमुख ‘मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहिन योजना’ के तहत पात्र महिलाओं को प्रति माह 1,500 रुपये की वित्तीय सहायता दी जाती है। सरकार ने 14 अक्टूबर की मध्य रात्रि से मुंबई में प्रवेश करने वाले सभी पांच प्रवेश बिंदुओं पर हल्के मोटर वाहनों के लिए टोल माफ कर दिया था।

मुख्यमंत्री शिंदे के इस आरोप पर कि पिछली एमवीए सरकार ने सभी परियोजनाएं रोक दी थीं, इसका जवाब देते हुए ठाकरे ने कहा कि वह उसी सरकार में ढाई साल तक शहरी विकास मंत्री थे और फिर भी वह बेशर्मी से इस बारे में बात कर रहे हैं।

भाषा प्रीति नरेश

नरेश

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