मुंबई, 23 जनवरी (भाषा) प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बृहस्पतिवार को टोरेस निवेश ‘धोखाधड़ी’ से जुड़े धन शोधन मामले में मुंबई, राजस्थान और जयपुर में 10-12 स्थानों पर छापेमारी की। यह मामला निवेशकों से धोखाधड़ी से संबंधित है।
संघीय एजेंसी ने कुछ समय पहले जांच शुरू करने के लिए मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) की प्राथमिकी का संज्ञान लेते हुए धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत आपराधिक शिकायत दर्ज की थी।
अधिकारियों के अनुसार, अब तक 3,700 से अधिक निवेशक मुंबई पुलिस के पास शिकायत दर्ज करा चुके हैं। कथित रूप से, पीड़ित निवेशकों से 57 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी की गई है।
टोरेस ब्रांड के स्वामित्व वाली ज्वेलरी कंपनी पर पोंजी और मल्टी-लेवल मार्केटिंग योजनाओं के जरिए करोड़ों रुपये की ठगी करने का आरोप है। यह घोटाला तब सामने आया जब सैकड़ों निवेशक इस महीने की शुरुआत में दादर (पश्चिम) स्थित टोरेस वास्तु सेंटर बिल्डिंग में कंपनी के स्टोर पर इकट्ठा हुए। कंपनी ने निवेशकों को वादे के अनुसार भुगतान करना बंद कर दिया था।
पुलिस ने अब तक तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिनमें उज्बेकिस्तान का तजागुल खसाटोव, रूस की वलेन्टीना गणेश कुमार और भारतीय नागरिक सर्वेश सुर्वे शामिल हैं। ये सभी कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी थे।
जांचकर्ताओं ने बताया कि टोरेस ज्वेलरी ब्रांड के प्रचारकों ने निवेशकों को आकर्षित करने के लिए कार, फ्लैट, गिफ्ट कार्ड और हैम्पर देने का वादा किया था।
बंबई उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि टोरेस निवेशक घोटाले में पुलिस अधिकारियों ने तुरंत कार्रवाई नहीं करके अपने कर्तव्य का उल्लंघन किया। न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और नीला गोखले की खंडपीठ ने कहा, ‘किसी ने भी तत्परता से कार्य नहीं किया।’
पुलिस और ईडी दोनों इस घोटाले के मास्टरमाइंड का पता लगाने में जुटी हैं जिसने प्लेटिनम हर्न नामक ज्वेलरी कंपनी शुरू की। प्लेटिनम हर्न कंपनी शुरू करने वाले के पास ही टोरेस ब्रांड का मालिकाना अधिकार है। साथ ही यह भी जांच हो रही है कि कंपनी को प्रारंभिक कोष कहां से मिला।
भाषा राखी मनीषा
मनीषा