मुंबई, 28 दिसंबर (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रहने के दौरान मनमोहन सिंह महीने में एक या दो बार, मुंबई के फोर्ट इलाके में स्थित प्रसिद्ध स्ट्रैंड बुक स्टॉल पर जाते थे और वहां आयी अपनी पसंद की नयी किताबें खरीदते थे।
किताब की इस दुकान के कर्मचारियों ने शायद ही कभी सोचा होगा कि यह मृदुभाषी पुस्तक प्रेमी देश का प्रधानमंत्री बनेगा।
कुछ साल पहले बंद हो चुके बुकस्टोर ‘स्ट्रैंड’ के एक पूर्व कर्मचारी ने डॉ. मनमोहन सिंह से जुड़ी यादें ताजा कीं। सिंह का बृहस्पतिवार रात 92 साल की उम्र में दिल्ली में निधन हो गया।
सिंह 1982 से 1985 के बीच आरबीआई गवर्नर थे। कभी-कभी, वह ‘बंद गला’ सूट या कुर्ता-पायजामा पहनकर पैदल ही किताब की दुकान पर जाते थे। ‘स्ट्रैंड’ में दो दशक तक काम करने वाले टी. जगत ने कहा, ‘हममें से कई लोगों ने उन्हें उन दिनों दोपहर के भोजन के समय दुकान पर देखा है।’
अब ‘किताब खाना’ बुकस्टोर के मुख्य परिचालन अधिकारी जगत पूर्व प्रधानमंत्री सिंह के विनम्र व्यवहार को याद करते हैं।
जगत ने कहा, ‘मैं प्रबंधन और साहित्य अनुभाग संभालता था। वह प्रबंधन, वित्त और अर्थव्यवस्था से संबंधित किताबें मांगते थे।’
उन्होंने कहा, ‘कभी-कभी मैं शेल्फ से उनके लिए कोई किताब निकाल लेता था।’ जगत ने बताया कि सिंह उन्हें उनके नाम से बुलाते थे।
कभी-कभी ‘स्ट्रैंड’ के मालिक टी. एन. शानबाग व्यक्तिगत रूप से उनकी मदद करते थे और नयी पुस्तकें दिखाते थे।
जगत ने कहा, ‘हम दोपहर में उनका इंतजार करते थे क्योंकि हमें पता था कि वह किसी भी दिन आ सकते हैं।’
उन्होंने कहा कि भारत ने एक महान अर्थशास्त्री और एक अच्छे इंसान को खो दिया है।
जगत ने कहा, ‘स्ट्रैंड में अपने कार्यकाल के दौरान मैंने सात से आठ आरबीआई गवर्नर देखे हैं। लेकिन मनमोहन सिंह उनमें से एक बहुत ही अलग व्यक्तित्व के थे।’ उन्होंने कहा, ‘बहुत महान व्यक्ति, बहुत मृदुभाषी और व्यावहारिक; वह हम सभी के साथ विनम्रता से पेश आते थे।’
जगत ने कहा, ‘कोई भी अन्य राजनीतिक व्यक्ति डॉ. सिंह के कद की बराबरी नहीं कर सकता।’
भाषा जोहेब प्रशांत
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