सांप्रदायिक दरार पैदा करने के लिए किया गया था मालेगांव विस्फोट : एनआईए

सांप्रदायिक दरार पैदा करने के लिए किया गया था मालेगांव विस्फोट : एनआईए

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  • Publish Date - July 25, 2024 / 10:22 PM IST,
    Updated On - July 25, 2024 / 10:22 PM IST

मुंबई, 25 जुलाई (भाषा) मालेगांव बम विस्फोट मामले में अभियोजन पक्ष ने अपनी अंतिम दलीलें पेश करते हुए कहा कि 2008 में किया गया धमाका सांप्रदायिक दरार पैदा करने और राज्य की आंतरिक सुरक्षा को खतरे में डालने के इरादे से किया गया था। इस विस्फोट में छह लोग मारे गए थे और 100 से अधिक घायल हुए थे।

इस मामले में भाजपा की पूर्व सांसद प्रज्ञा ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित सहित सात आरोपी मुकदमे का सामना कर रहे हैं। इस मामले में घटना के लगभग 16 साल बाद बृहस्पतिवार को अंतिम दलीलें शुरू हुईं।

मालेगांव में 29 सितंबर 2008 को अंजुमन चौक और भीकू चौक के बीच स्थित शकील गुड्स ट्रांसपोर्ट कंपनी के सामने रात्रि नौ बजकर 35 मिनट पर हुए बम विस्फोट में छह लोगों की मौत हो गई थी तथा 101 लोग घायल हुए थे।

अभियोजन पक्ष के अनुसार, यह विस्फोट एक मोटरसाइकिल (जो कथित तौर पर भोपाल की पूर्व सांसद प्रज्ञा ठाकुर की थी) में लगे एक संवर्धित विस्फोटक उपकरण द्वारा किया गया था।

उच्चतम न्यायालय ने आरोपियों में से एक समीर कुलकर्णी के खिलाफ मुकदमे पर रोक लगा दी है। मामले में ठाकुर और पुरोहित के अलावा अन्य आरोपी मेजर रमेश उपाध्याय (सेवानिवृत्त), अजय राहिरकर, सुधाकर द्विवेदी और सुधाकर चतुर्वेदी हैं। सभी पर गैरकानूनी गतिविधि निवारण अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के प्रावधानों के तहत मुकदमा चल रहा है।

राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) का पक्ष रख रहे विशेष लोक अभियोजक अविनाश रसाल और अनुश्री रसाल ने कहा, “यह रमजान का पवित्र महीना था और नवरात्रि उत्सव शुरू होने वाला था। साजिशकर्ताओं ने लोगों को आतंकित करने और जान-माल का नुकसान करने के इरादे से ये विस्फोट किए थे। यह घटना समुदाय के लिए आवश्यक आपूर्ति और सेवाओं को बाधित करने, सांप्रदायिक दरार पैदा करने और राज्य की आंतरिक सुरक्षा को खतरे में डालने के इरादे से की गई थी।”

इस मामले की जांच शुरू में महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) द्वारा की गई थी। इसके बाद इसे केंद्रीय एजेंसी एनआईए को सौंप दिया गया था।

अंतिम दलील में अभियोजन पक्ष ने एटीएस जांच का हवाला दिया, जिसमें दावा किया गया था कि आरोपी पुरोहित कश्मीर में अपनी तैनाती पूरी करने के बाद वहां से आरडीएक्स अपने साथ लाया था और उसे अपने घर में रखा था।

भाषा प्रशांत नेत्रपाल

नेत्रपाल