मुंबई, 21 जनवरी (भाषा) कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई के नेता विजय वडेट्टीवार ने मंगलवार को प्रदेश के पूर्व कृषि मंत्री धनंजय मुंडे (राकांपा) की निगरानी में बीड में फसल बीमा योजना के क्रियान्वयन में अनियमितताओं का आरोप लगाया।
कांग्रेस नेता ने एक विशेष समिति बनाये जाने और बीड फसल बीमा मॉडल से जुड़े फैसलों का पारदर्शी तरीके से मूल्यांकन करने की मांग की।
मुंडे पिछली एकनाथ शिंदे सरकार में जुलाई 2022 से दिसंबर 2024 तक कृषि मंत्री रहे थे।
मुंडे वर्तमान में देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली सरकार में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्रालय संभाल रहे हैं।
वडेट्टीवार ने एक बयान में आरोप लगाया, “बीड मॉडल का उद्देश्य किसानों की मदद करना नहीं है। इसकी योजना भ्रष्टाचार को ध्यान में रखकर बनाई गई थी।”
उन्होंने राज्य सरकार पर फसल बीमा योजना के तहत अपनी जिम्मेदारी से बचने और किसानों को उनके उचित लाभ से वंचित करने का आरोप लगाया।
वडेट्टीवार ने सवाल किया, “2024 में दायर चार लाख फर्जी बीमा दावों में से केवल 1.09 लाख का ही निपटारा किया गया है। कल इन फर्जी दावों के लिए किसानों को दोषी ठहराया जाएगा लेकिन उन लोगों का क्या होगा, जिन्होंने इस भ्रष्टाचार से बड़े पैमाने पर लाभ कमाया है?”
फसल बीमा का बीड मॉडल प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का एक घटक है।
इस योजना के तहत बीमा कंपनी एकत्रित प्रीमियम का 110 प्रतिशत भुगतान करती है और अगर मुआवजा राशि 110 प्रतिशत से अधिक है, तो राज्य सरकार अंतर का भुगतान करती है।
वडेट्टीवार ने आरोप लगाया, “इस (फसल बीमा) योजना के तहत, डीबीटी (प्रत्यक्ष लाभ अंतरण) योजना को बंद करने के बाद 105 करोड़ रुपये फर्जी खातों में डाले गए। इसके अलावा, धनंजय मुंडे की टीम ने 150-200 किसानों के नाम फर्जी दावों में जोड़े हैं। इन अनियमितताओं में खुद मंत्री का नाम भी शामिल है।”
उन्होंने बीड फसल बीमा मॉडल में ‘भ्रष्टाचार को रोकने’ के लिए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग की।
वडेट्टीवार ने आरोप लगाया, “बीड मॉडल किसानों के हित में नहीं बल्कि पैसे हड़पने के लिए बनायी गयी योजना है। यह भ्रष्टाचार मंत्री की प्रत्यक्ष संलिप्तता के बिना नहीं हो सकता।”
उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार भ्रष्ट नेताओं को बचा रही है।
वडेट्टीवार ने पूछा, “अगर कृषि मंत्री के पास इतना अधिकार है, तो डीबीटी योजना को क्यों बदला गया और उन्हें जवाबदेह क्यों नहीं ठहराया गया?”
भाषा जितेंद्र नरेश
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