महाराष्ट्र सरकार को बीड में माफिया का सफाया करना चाहिए: सुले

महाराष्ट्र सरकार को बीड में माफिया का सफाया करना चाहिए: सुले

  •  
  • Publish Date - January 21, 2025 / 01:43 PM IST,
    Updated On - January 21, 2025 / 01:43 PM IST

पुणे, 21 जनवरी (भाषा) राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) की नेता सुप्रिया सुले ने मंगलवार को महाराष्ट्र के बीड की स्थिति पर चिंता व्यक्त की, जहां पिछले महीने सरपंच संतोष देशमुख की हत्या कर दी गई थी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को जिले में माफिया को खत्म करना चाहिए।

यहां संवाददाताओं से बात करते हुए, बारामती की सांसद सुप्रिया सुले ने कहा कि देश और राज्य बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, अनुबंधों को रद्द करने, किसानों के प्रति अन्याय और हिंसा जैसी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।

यह पूछे जाने पर कि क्या उपमुख्यमंत्री अजित पवार को बीड का संरक्षक मंत्री नियुक्त करने से जिले की स्थिति बदलेगी, उन्होंने कहा कि वह किसी एक व्यक्ति से बदलाव की उम्मीद नहीं करती हैं, लेकिन राज्य सरकार को क्षेत्र में कानून और व्यवस्था को बेहतर बनाने की दिशा में काम करना चाहिए।

बीड जिले के मसाजोग गांव के सरपंच देशमुख को नौ दिसंबर को अपहरण कर प्रताड़ित किया गया और उनकी हत्या कर दी गई। बताया जाता है कि कथित तौर पर एक पवनचक्की परियोजना से जुड़ी ऊर्जा कंपनी के खिलाफ जबरन वसूली के प्रयासों को रोकने की कोशिश के चलते देशमुख को अपनी जान गंवानी पड़ी।

सुले ने कहा, ‘‘मैं सरकार से उम्मीद करती हूं कि वह इस तरह के सभी अपराधों को रोकेगी। सरकार को वहां (बीड) माफिया को खत्म करना चाहिए।’’

उन्होंने कहा कि अगर यही स्थिति रही तो राज्य में कोई निवेश नहीं आएगा। उन्होंने कहा, ‘‘अगर ऐसा माहौल बना रहा तो राज्य में निवेश करने कौन आएगा, इसलिए इन मुद्दों को गंभीरता से लेने की जरूरत है। मैं बीड मुद्दे पर एक सर्वदलीय बैठक की मांग कर रही हूं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हमारा राज्य देश में निवेश के लिए सबसे अच्छा गंतव्य बने।’’

सुले ने राज्य और देश के सामने मौजूद आर्थिक चुनौतियों के बारे में भी चिंता व्यक्त की और कहा कि अर्थशास्त्री अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये के कमजोर होने की भविष्यवाणी कर रहे हैं, और अनुमान है कि यह 90 रुपये को पार कर सकता है।

उन्होंने कहा, ‘‘देश और राज्य बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, अनुबंधों को रद्द करना, किसानों के प्रति अन्याय और हिंसा जैसी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। महाराष्ट्र की अर्थव्यवस्था, कर्ज के बोझ और ऋणों पर चुकाए जा रहे ब्याज को देखते हुए यह चिंताजनक है कि राज्य इस स्थिति से कैसे बाहर निकलेगा।’’

भाषा मनीषा वैभव

वैभव