(निखिल देशमुख)
मुंबई, 24 सितंबर (भाषा) महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में हाथी-इंसानों के बीच संघर्ष को कम करने के लिए ड्रोन के सफल इस्तेमाल के बाद अब वन विभाग नासिक जिले में खैर और सागौन की लकड़ी की तस्करी पर निगरानी बढ़ाने के लिए ड्रोन का परीक्षण कर रहा है। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।
खैर वृक्ष के चिकित्सीय मूल्यों की वजह से इसकी मांग ज्यादा है और इसका इस्तेमाल कत्था बनाने के लिए किया जाता है, जो पान में एक प्रमुख सामग्री है।
सागौन की लकड़ी को फर्नीचर बनाने के लिए उसके टिकाऊपन व मजबूती के लिए जाना जाता है।
गुजरात की सीमा से सटे नासिक जिले में इगतपुरी से त्र्यंबकेश्वर क्षेत्र तक फैले जंगलों में निगरानी उपकरण के रूप में ड्रोन का प्रयोग किया जा रहा है।
अधिकारी ने बताया कि ये ड्रोन, थर्मल इमेजिंग प्रणाली से लैस हैं, जो वन अधिकारियों को वनों के भीतर मानवों की अवैध आवाजाही और उनकी गतिविधियों का पता लगाने में सक्षम बनाएंगे।
नासिक जिले के वन उपसंरक्षक पंकज गर्ग ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि अवैख रूप से पेड़ों की कटाई और खैर व सागौन की लकड़ी को लाने-ले जाने के लिए वाहनों की जब्ती के उनके नियमित तरीके पहले से प्रक्रिया में हैं।
उन्होंने बताया, ”लेकिन हम पेड़ों की कटाई को रोकना चाहते हैं, जिसके लिए मानव बुद्धिमता और निगरानी पर्याप्त नहीं है। ड्रोन से निगरानी हमारे कार्य को मजबूत बनाएगी और हम तस्करों द्वारा पेड़ों की कटाई का पता लगाने में सक्षम होंगे।”
भाषा जितेंद्र नरेश
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