महाराष्ट्र चुनाव: जालना में भाजपा को सीधी टक्कर नहीं, लेकिन जरांगे के मुद्दे को लेकर पार्टी परेशान

महाराष्ट्र चुनाव: जालना में भाजपा को सीधी टक्कर नहीं, लेकिन जरांगे के मुद्दे को लेकर पार्टी परेशान

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  • Publish Date - November 7, 2024 / 08:29 PM IST,
    Updated On - November 7, 2024 / 08:29 PM IST

जालना, सात नवंबर (भाषा) राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने भले ही महाराष्ट्र चुनावों में उम्मीदवार नहीं उतारने का फैसला किया हो, लेकिन मराठा आंदोलन के केंद्र जालना में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की बेचैनी कम नहीं हुई है।

उन्होंने कहा कि भाजपा ने 2019 के चुनाव में जिले के तीन प्रमुख निर्वाचन क्षेत्र भोकरदन, परतूर और बदनापुर में जीत हासिल की थी और पार्टी कोशिश कर रही है कि उसकी जीत का रिकॉर्ड बरकरार रहे, हालांकि वहां के राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य में बदलाव देखने को मिले हैं।

पार्टी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री रावसाहेब दानवे के बेटे एवं दो बार के विधायक संतोष दानवे को भोकरदन, बबनराव लोणीकर को परतूर से और नारायण कुचे को बदनापुर से उम्मीदवार बनाया है।

हालांकि, पिछले पांच साल में शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) विभाजित हो गईं, जबकि जालना में शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षण की मांग को लेकर जरांगे के नेतृत्व में मराठा समुदाय द्वारा बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया गया।

जरांगे ने बार-बार भाजपा पर निशाना साधते हुए आगाह किया कि समुदाय 20 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनावों में उसके उम्मीदवारों को जीतने नहीं देगा। हालांकि, उन्होंने हाल ही में चुनावों में उम्मीदवार नहीं उतारने का फैसला किया है।

जिले में मराठों की आबादी लगभग 32 प्रतिशत है। जालना राज्य के मराठवाड़ा क्षेत्र का एक हिस्सा है जिसमें 46 विधानसभा क्षेत्र हैं।

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने जिले की घनसावंगी और जालना सीट पर उम्मीदवार उतारे हैं।

भोकरदन में 32 उम्मीदवार मैदान में हैं जहां मुख्य मुकाबला संतोष दानवे और राकांपा (शरद चंद्र पवार) उम्मीदवार चंद्रकांत दानवे के बीच है। चंद्रकांत तीन बार के विधायक हैं। राजनीतिक विश्लेषक ने जरांगे मुद्दे की तरफ संकेत देते हुए कहा कि पूर्व केंद्रीय मंत्री रावसाहेब दानवे इस साल हुए लोकसभा चुनाव में जालना से हार गए थे।

संतोष दानवे ने पिछली बार चंद्रकांत दानवे को 32,000 मतों के अंतर से हराया था।

परतूर में, दो बार के विधायक एवं पूर्व मंत्री बबनराव लोणीकर का मुकाबला शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के उम्मीदवार आसाराम बोराडे और कांग्रेस के बागी सुरेश जेथलिया से है। परतूर नगर परिषद के पूर्व प्रमुख जेथलिया को स्थानीय समर्थन प्राप्त है।

एक राजनीतिक विश्लेषक ने कहा कि बोराडे और जेथलिया के बीच मतों का बंटवारा लोणीकर के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है, लेकिन मराठा और बंजारा समुदाय परतूर निर्वाचन क्षेत्र में विजेता का फैसला करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

बदनापुर (सुरक्षित) निर्वाचन क्षेत्र में दो बार के विधायक नारायण कुचे का मुकाबला राकांपा (एसपी) के रूपकुमार बबलू चौधरी से है। यहां के नतीजों पर मराठा वोटों का महत्वपूर्ण प्रभाव देखने को मिल सकता है क्योंकि समुदाय के कई वर्गों ने कुचे के प्रति असंतोष व्यक्त किया है।

वरिष्ठ पत्रकार अविनाश कव्हले ने कहा कि मराठा समुदाय भाजपा से नाराज है और आरक्षण सुनिश्चित करने में विफल रहने के लिए भाजपा को जिम्मेदार मानता है। कव्हले ने कहा कि जरांगे ने समुदाय से बार-बार जोर देकर कहा है कि मराठा आरक्षण का विरोध करने वालों को “सबक सिखाएं”।

भाषा खारी अविनाश

अविनाश