(कोमल पंचमटिया)
मुंबई, 15 नवंबर (भाषा) महाराष्ट्र में 20 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनावों की तैयारियां जोरों पर हैं और ऐसे में हिंदी फिल्म उद्योग को उम्मीद है कि चुनाव के बाद बनने वाली नयी सरकार दिहाड़ी श्रमिकों के लिए जरूरी सुधार लाएगी और फिल्म उद्योग क्षेत्र पर वित्तीय बोझ कम करने वाली नीतियां बनाएगी।
राज्य में सत्तारूढ़ महायुति (जिसमें भारतीय जनता पार्टी, शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शामिल हैं) और विपक्षी महा विकास आघाडी (जिसमें कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) शामिल हैं) के बीच पांच दिन बाद चुनावी मुकाबला होगा।
अभिनेता सुरेश ओबेरॉय ने मतदान के महत्व पर जोर देते हुए इसे ‘‘राष्ट्रीय त्योहार’’ बताया।
उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘मतदान एक राष्ट्रीय त्योहार है और अपने मताधिकार का प्रयोग करना एवं लोकतंत्र की नींव को मजबूत करना आपका कर्तव्य है।’’
अभिनेता गुलशन देवैया ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘चुनाव एक अच्छे लोकतंत्र की पहचान है और यह लोगों का अधिकार है। हमारे बीच चाहे जितनी भी समस्याएं हों, हम चुनावी और वैचारिक रूप से स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव करा सकते हैं, इसलिए यह काफी शानदार है।’’
फिल्म निर्माता बोनी कपूर ने भी इसी तरह के विचार रखे। उन्होंने कहा, ‘‘इस देश के हर नागरिक का अधिकार है कि वह वोट देकर नेता चुने और सरकारी तंत्र को यथासंभव लोकतांत्रिक बनाए।’’
फिल्म निर्माता सुभाष घई ने कहा कि विकास और कल्याण पर केंद्रित शासन सर्वोपरि है।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं किसी राजनीतिक दल से नहीं जुड़ा हूं, महाराष्ट्र मेरी कर्मभूमि है। जो भी राज्य के विकास के बारे में सोचता है, उसे हमारा नेता होना चाहिए, चाहे वह किसी भी दल का हो। मतदान करना सबसे अधिक महत्वपूर्ण है और हम सभी को ऐसा करना चाहिए।’’
‘फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्प्लॉइज’ (एफडब्लूआईसीई) के अध्यक्ष बी एन तिवारी ने कहा कि नेताओं से सहायता के लिए कई बार अपील करने के बावजूद दिहाड़ी श्रमिकों की नौकरी का स्थायित्व सुनिश्चित करने के लिए बहुत कम काम किया गया है।
तिवारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘उन्हें फिल्म उद्योग से हर तरह की मदद की जरूरत है, लेकिन वे (नेता) हमारे बारे में कभी नहीं सोचते। हमने उन्हें श्रमिकों के लिए पीपीएफ योजना लागू करने, उन्हें नौकरी की सुरक्षा प्रदान करने आदि को लेकर कई बार पत्र लिखा है। हमें यह समझ नहीं आता कि जो लोग गरीब लोगों की मदद करने की बात करते हैं, वे उनके लिए कुछ क्यों नहीं करते।’’
उन्होंने कहा कि फिल्म उद्योग में दिहाड़ी श्रमिकों की दुर्दशा पर किसी का ध्यान नहीं गया है। उन्होंने कहा कि कई लोग कोविड-19 महामारी के बाद भी आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं।
‘बधाई दो’, ‘दहाड़’ और ‘गन्स एंड गुलाब्स’ में अभिनय कर चुके देवैया ने महामारी के बाद से श्रमिकों के लिए अपर्याप्त सहायता प्रणालियों पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा, ‘‘जब मैं 2008 में (मुंबई) आया था, तो बहुत सारी प्रणालियां लागू थीं। कोविड-19 के बाद कई श्रमिक आर्थिक रूप से जूझ रहे हैं, इसलिए उनके लिए कुछ योजनाएं लाना अच्छा रहेगा। मुझे यूनियन से (श्रमिकों के लिए) दान मांगने वाला एक परिपत्र मिला था और यह संभव है कि इन यूनियन के पास पर्याप्त धन न हो।’’
तिवारी ने उपनगरीय मुंबई में प्रतिष्ठित फिल्म सिटी का जिक्र करते हुए कहा कि बॉलीवुड फिल्म निर्माण संबंधी बुनियादी ढांचे से जुड़े संकट का सामना कर रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘राज्य सरकार यहां फिल्म सिटी के बारे में नहीं सोच रही है। यहां की हालत को देखते हुए यहां ‘हॉरर’ फिल्म की शूटिंग की जा सकती है। (हैदराबाद स्थित) रामोजी फिल्म सिटी में बहुत सारे सेट हैं, सभी का रखरखाव बहुत बढ़िया है। यहां की फिल्म सिटी में देखने लायक कुछ भी नहीं है।’’
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार सबसे बड़ी फिल्म सिटी विकसित कर रही है और सब्सिडी दे रही है ताकि हर कोई वहां शूट के लिए जाए।
तिवारी ने कहा, ‘‘हिंदी फिल्म उद्योग मुंबई का पर्याय है और लोग ग्लैमर की इसी दुनिया के कारण शहर में आते हैं। मुझे उम्मीद है कि नयी राज्य सरकार इसके लिए कुछ करेगी।’’
मुंबई के लोकप्रिय एकल स्क्रीन थिएटर ‘गेयटी गैलेक्सी’ के कार्यकारी निदेशक मनोज देसाई ने फिल्म प्रदर्शन से जुड़े क्षेत्र को ‘‘सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से पर्याप्त सहयोग न मिलने पर’’ निराशा व्यक्त की।
उन्होंने कर में कटौती का आह्वान किया ताकि बढ़ती परिचालन लागत के कारण संघर्ष कर रहे सिनेमाघरों पर वित्तीय दबाव को कम करने में मदद मिल सके।
उन्होंने कहा कि इस साल केवल तीन फिल्मों ‘स्त्री 2’, ‘भूल भुलैया 3’ और ‘सिंघम अगेन’ ने अच्छा कारोबार किया ।
उन्होंने कहा, ‘‘हम भुगत रहे हैं इसलिए हमारे फिल्म उद्योग और फिल्मों के प्रदर्शन से जुड़े क्षेत्र की थोड़ी मदद करें।’’
भाषा सिम्मी वैभव
वैभव