कानून की जानकारी नहीं होना उसे तोड़ने का बहाना नहीं हो सकता है: बंबई उच्च न्यायालय

कानून की जानकारी नहीं होना उसे तोड़ने का बहाना नहीं हो सकता है: बंबई उच्च न्यायालय

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  • Publish Date - July 24, 2024 / 03:19 PM IST,
    Updated On - July 24, 2024 / 03:19 PM IST

मुंबई, 24 जुलाई (भाषा) प्रतिबंधित सामग्री घोषित किये जा चुके एक रसायन का बिना जरूरी प्रमाणपत्र के कथित रूप से निर्यात करने को लेकर एक दवा कंपनी के निदेशक के खिलाफ दर्ज मामले को खारिज करने से इनकार करते हुए बंबई उच्च न्यायालय ने कहा है कि कानून की जानकारी नहीं होना उसे तोड़ने का बहाना नहीं हो सकता।

उच्च न्यायालय ने कहा कि यदि इस अनभिज्ञता को बचाव के तौर पर स्वीकार कर लिया जाए तो कानून प्रवर्तन मशीनरी ठप्प पड़ जाएगी।

‘विवालविता फार्मास्यूटिकल्स’ नामक एक कंपनी के निदेशक अजय मेलवानी ने उच्च न्यायालय से मुंबई पुलिस की अपराध शाखा द्वारा उनके खिलाफ स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम के तहत 2019 में दर्ज की गयी प्राथमिकी खारिज करने का अनुरोध किया था।

अपनी अर्जी में आरोपी ने यह दावा करते हुए इस मामले को खारिज करने का अनुरोध किया कि 2018 में जारी की गयी अधिसूचना में संबंधित रसायन को प्रतिबंधित सामग्री की सूची में शामिल नहीं किया गया था, इसलिए उनकी कंपनी को इस बात की जानकारी नहीं थी कि उसके निर्यात से पहले अनापत्ति प्रमाणपत्र की जरूरत होगी।

न्यायमूर्ति ए एस गडकरी और न्यायमूर्ति नीला गोखले की खंडपीठ ने 22 जुलाई को यह अर्जी खारिज कर दी और यह कहते हुए मामला रद्द करने से इनकार कर दिया कि यह स्थापित कानूनी रुख है कि कानून की जानकारी नहीं होना किसी आपराधिक आरोप के सिलसिले में बचाव नहीं हो सकता है।

हालांकि इस पीठ ने मेलवानी के खिलाफ जांच एजेंसी द्वारा आरोप पत्र दाखिल करने पर उच्च न्यायालय द्वारा मार्च 2023 में लगाये गये स्थगन को चार सप्ताह के लिए बढ़ा दिया।

उच्च न्यायालय ने कहा,‘‘कानून की जानकारी नहीं होना उसे तोड़ने का कोई बहाना नहीं है, यह न्यायशास्त्र के आवश्यक सिद्धांतों में से एक है।’’

उच्च न्यायालय ने कहा कि इस सिद्धांत के पीछे तर्क यह है कि यदि अज्ञानता को एक बहाना मान लिया गया, तो किसी अपराध के आरोपी या उसमें शामिल व्यक्ति बस यह दावा कर अपनी जवाबदेही से बच निकलेगा कि उसे संबंधित कानून की जानकारी नहीं थी, भले ही वह कानून तोड़ने के परिणामों से अच्छी तरह वाकिफ क्यों न हो।

पीठ ने कहा कि इस बात पर विश्वास नहीं किया जा सकता कि दवा उत्पादों एवं संबंधित चीजों के आयात-निर्यात में लगी कंपनी को कारोबार से संबंधित नियमों एवं विनियमों की जानकारी नहीं है।

मामला यह है कि रसायन बनाने वाली कंपनी सैम फाइन ओ केम लिमिटेड ने मेलवानी की कंपनी विवालविता के मार्फत बिना अनापत्ति प्रमाणपत्र के एक इतालवी कंपनी को 1000 किलोग्राम एन-फेनइथाइल-4 पिपेरिडोन (प्रतिबंधित सामग्री) का निर्यात किया था।

भाषा

राजकुमार नरेश

नरेश