पुणे, 19 दिसंबर (भाषा) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने बृहस्पतिवार को कहा कि विश्व को एक ‘गुरु’ की जरूरत है और भारत वह ‘गुरु’ बन सकता है।
वह ‘विश्वगुरु भारत’ विषय पर एक कार्यक्रम में व्याख्यान दे रहे थे।
उन्होंने कहा, ‘‘हर कोई सोचता है कि भारत को ‘विश्व गुरु’ होना चाहिए। दुनिया कुछ सकारात्मक विचारों के साथ आगे बढ़ रही है और सुविधाओं तथा सेवाओं में वृद्धि हुई है, लेकिन चारों ओर शांति नहीं है। दुनिया के कुछ हिस्सों में युद्ध हो रहे हैं, जबकि प्रदूषण बढ़ रहा है। जब बारिश की उम्मीद होती है, तब बारिश नहीं होती और जब बारिश होती है, तो बहुत नुकसान हो जाता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘दुनिया को एक गुरु की जरूरत है और भारत वह गुरु हो सकता है। हमारा देश परोपकार के लिए तैयार है। हमें दूसरों के ईश्वर का मजाक नहीं उड़ाना चाहिए। हमें दुनिया भर में सभी के साथ सद्भाव से रहना चाहिए।’’
संविधान के बारे में बात करते हुए आरएसएस प्रमुख ने कहा कि इसकी प्रस्तावना के साथ-साथ नागरिकों के अधिकारों को भी नहीं बदला जा सकता।
भाषा यासिर वैभव
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