मुंबई, 16 दिसंबर (भाषा) तबला वादक जाकिर हुसैन के निधन से उनके लिए तबला बनाने वाले हरिदास वटकर को गहरा धक्का लगा है।
हरिदास वटकर (59) ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘मैंने सबसे पहले उनके (जाकिर हुसैन) पिता अल्ला रक्खा के लिए तबले बनाना शुरू किया और 1998 से जाकिर हुसैन साहब के लिए तबले बना रहा था।’
मुंबई के कांजुर मार्ग स्थित अपनी कार्यशाला से बातचीत के दौरान वटकर ने कहा कि उनकी 73 वर्षीय तबला वादक से आखिरी मुलाकात इसी वर्ष अगस्त में मुंबई में हुई थी।
वटकर ने बताया, ‘वह गुरु पूर्णिमा का दिन था। मैं उनसे एक हॉल में मिला था, जहां उनके बहुत से प्रशंसक भी मौजूद थे। इसके अगले दिन मैं नेपियन सी रोड के नजदीक शिमला हाउस कोऑपरेटिव सोसाइटी में उनके घर गया। यहां मेरी उनसे काफी देर तक बातचीत हुई।
पश्चिमी महाराष्ट्र के मिराज से आने वाले तीसरी पीढ़ी के तबला निर्माता वटकर ने कहा, ‘वे इस बात को लेकर बहुत सजग रहते थे कि उनको कब और कैसा तबला चाहिए। वे वाद्ययंत्र की ध्वनि को लेकर बहुत महत्व देते थे।’
जब उनसे पूछा गया कि पिछले दो दशकों में उन्होंने जाकिर हुसैन के लिए कितने तबले बनाए हैं, तो वटकर ने जवाब दिया, ‘अनगिनत।’
वटकर ने कहा, ‘ मैं उनके लिए नए तबले तो बनाता ही था। साथ ही उनके संग्रह के तबलों की मरम्मत भी करता था।’
तबला निर्माता ने कहा, ‘मैंने उनके लिए तबले बनाए और उन्होंने मेरी जिदगी बना दी।’
यह पूछे जाने पर कि क्या वह और जाकिर हुसैन नियमित संपर्क में थे वटकर ने कहा, ‘नियमित तो नहीं। जब उस्ताद को जरूरत होती थी तब वे मुझे नए तबले और कुछ पुराने वाद्ययंत्रों की मरम्मत के लिए फोन करते थे।’
हरिदास ने अपने बाबा केराप्पा रामचंद्र वटकर और पिता रामचंद्र वटकर के पद चिह्नों पर चलकर तबला बनाने की कला सीखी है।
वटकर ने कहा, ‘हमारी बातचीत महीनों के अंतराल के बाद होती थी और यह ऐसी बातचीत नहीं थी जिसे आप सामान्य बातचीत कहें।’
प्रसिद्ध तबला वादक जाकिर हुसैन का अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में एक अस्पताल में निधन हो गया। उनके परिवार ने सोमवार को यह जानकारी दी।
मुंबई में जन्मे तबला वादक के परिवार में उनकी पत्नी एंटोनिया मिनेकोला और उनकी बेटियां अनीशा कुरैशी और इजाबेला कुरैशी हैं।
भाषा योगेश नरेश
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