पशुवध पर अस्थायी प्रतिबंध लगाने की जैन ट्रस्ट की याचिका पर नगर निकाय निर्णय करें : अदालत

पशुवध पर अस्थायी प्रतिबंध लगाने की जैन ट्रस्ट की याचिका पर नगर निकाय निर्णय करें : अदालत

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  • Publish Date - August 29, 2024 / 05:38 PM IST,
    Updated On - August 29, 2024 / 05:38 PM IST

मुंबई, 29 अगस्त (भाषा) बम्बई उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को महाराष्ट्र के नगर निकायों को निर्देश दिया कि वे जैन समुदाय के एक धर्मार्थ न्यास के उस अभ्यावेदन पर तत्काल विचार करें और निर्णय लें, जिसमें (जैन) समुदाय के आगामी धार्मिक आयोजन ‘पर्यूषण पर्व’ के मद्देनजर पशु वध और मांस की बिक्री पर अस्थायी प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है।

‘शेठ मोतीशॉ लालबाग जैन चैरिटीज’ ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) और पुणे, मीरा भयंदर और नासिक के नगर निकायों को उनके द्वारा प्रस्तुत अभ्यावेदन पर शीघ्र निर्णय लेने का निर्देश देने की मांग की थी।

ट्रस्ट ने कहा कि उसने 31 अगस्त से सात सितंबर तक पशु वध और उसके मांस की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है।

इसने जैन धर्म की मान्यताओं के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला, जिसमें ‘अहिंसा’ भी शामिल है। याचिका में कहा गया है कि अगर पर्यूषण पर्व के दौरान पशु वध होता है, तो यह जैन धर्म के लिए हानिकारक होगा।

मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय और न्यायमूर्ति अमित बोरकर की खंडपीठ ने कहा कि ट्रस्ट द्वारा प्रस्तुत किए गए अभ्यावेदन पर निर्णय लेने के लिए नगर निकायों को निर्देश देने में कोई बाधा नहीं दिखती।

अदालत ने कहा, ‘‘हम तदनुसार (निकाय) अधिकारियों को 31 अगस्त से सात सितंबर तक पशुओं के वध और मांस की बिक्री पर अस्थायी प्रतिबंध लगाने की मांग करने वाले याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन पर निर्णय लेने का निर्देश देते हैं। हम नगर निकायों से आग्रह करते हैं कि वे तत्काल निर्णय लें, क्योंकि यह पर्यूषण पर्व 31 अगस्त से शुरू हो रहा है।’’

ट्रस्ट ने अपनी याचिका में कहा कि जैन समुदाय के सदस्यों को पर्यूषण पर्व की अवधि के दौरान पशु वध देखने के लिए मजबूर किया जाता है।

भाषा सुरेश अविनाश

अविनाश