शिवसेना का पूर्व नेतृत्व विकास विरोधी था: शिंदे ने बगावत के कदम को सही ठहराते हुए दावा किया

शिवसेना का पूर्व नेतृत्व विकास विरोधी था: शिंदे ने बगावत के कदम को सही ठहराते हुए दावा किया

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  • Publish Date - November 18, 2024 / 04:16 PM IST,
    Updated On - November 18, 2024 / 04:16 PM IST

(निखिल देशमुख एवं प्रमोद शर्मा)

मुंबई, 18 नवंबर (भाषा) महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अपनी बगावत और महा विकास आघाडी (एमवीए) से बाहर निकलने के अपने फैसले को सही ठहराते हुए सोमवार को आरोप लगाया कि तत्कालीन शिवसेना नेतृत्व का रुख विकास विरोधी था और वह अपने हिंदुत्व सिद्धांतों से विमुख हो गया था।

शिवसेना प्रमुख ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बात करते हुए दावा किया कि जब पार्टी एमवीए का हिस्सा थी, तब ‘‘शिवसेना को कांग्रेस को बेचने’’ का प्रयास किया गया था और उन्होंने इसे लोगों के साथ विश्वासघात बताया।

शिंदे ने कहा, ‘‘मैंने उन्हें (एमवीए और उद्धव ठाकरे को) छोड़ दिया क्योंकि वे विकास विरोधी थे और तत्कालीन शिवसेना नेतृत्व हिंदुत्व से दूर जा रहा था।’’

उन्होंने नागपुर-मुंबई समृद्धि राजमार्ग और सिंचाई संबंधी ‘‘रुकी हुई पहलों’’ का विशेष उल्लेख करते हुए आरोप लगाया कि ‘‘एमवीए अवरोधकों से भरी थी, उसने सभी परियोजनाओं पर रोक लगा दी।’’

भाजपा और अविभाजित शिवसेना ने 2019 का विधानसभा चुनाव सहयोगियों के रूप में लड़ा था लेकिन शिवसेना ने मुख्यमंत्री पद ढाई-ढाई साल के लिए साझा करने की मांग की। इससे दोनों दलों में गतिरोध पैदा हो गया और बाद में, शिवसेना ने कांग्रेस और अविभाजित राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) से हाथ मिलाकर एमवीए का गठन किया।

पूर्ववर्ती एमवीए सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों में शामिल रहे शिंदे ने 2022 में बगावत कर दी और वह भाजपा के समर्थन से मुख्यमंत्री बने।

मुख्यमंत्री ने इन आरोपों को खारिज कर दिया कि महायुति ‘‘बंटेंगे तो कटेंगे’’ जैसे नारों के साथ विभाजनकारी राजनीति कर रही है।

शिंदे ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा- ‘एक हैं तो ‘सेफ’ हैं’। उन्होंने कहां विभाजन किया? कांग्रेस ब्रिटिश शैली की ‘फूट डालो और राज करो’ नीति का इस्तेमाल कर रही है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम यह नहीं कहते कि हिंदुओं को मुसलमानों के खिलाफ एक साथ आना चाहिए। ये लोग (एमवीए) कुछ समूहों को डराकर और राजनीतिक लाभ उठाकर अपनी राजनीति चलाते हैं।’’

उन्होंने जातिवाद को बढ़ावा देने के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि एमवीए इस साल की शुरुआत में लोकसभा चुनाव प्रचार अभियान के दौरान आरक्षण लाभ छीने जाने के बारे में फर्जी विमर्श पैदा कर रहा था लेकिन राज्य के चुनाव स्थानीय मुद्दों पर लड़े जाते हैं।

शिंदे ने कहा, ‘‘राहुल गांधी यह नहीं समझते कि राज्य चुनावों के दौरान ध्यान व्यावहारिक मुद्दों पर होता है, संविधान के मामलों पर नहीं।’’

शिंदे ने शिवसेना-उद्धव बालासाहेब ठाकरे (यूबीटी) प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व पर सवाल उठाया तथा उन पर लोगों के लिए काम करने के बजाय चीजों पर केवल प्रतिबंध लगाने का आरोप लगाया।

उन्होंने ठाकरे के हालिया आरोप को खारिज कर दिया कि केंद्र सरकार मुंबई को महाराष्ट्र से अलग करना चाहती है और उन्होंने इसे ‘‘बयानबाजी’’ करार दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘उनके पास कहने के लिए और कुछ नहीं है। उन्होंने सड़कों पर गड्ढों की मरम्मत नहीं की। हमने मुंबई की बेहतरी के लिए काम किया है। हमने उन मुद्दों को हल किया जो उन्होंने कभी नहीं किया।’’

मुख्यमंत्री ने मराठा आरक्षण मुद्दे से निपटने के अपनी सरकार के तरीके का बचाव किया।

उन्होंने कहा, ‘‘हम मराठा समुदायों को न्याय देने के पक्ष में हैं। हमने एक विशेष सत्र बुलाया और 10 प्रतिशत आरक्षण दिया। हम नहीं चाहते कि अन्य समुदाय प्रभावित हों।’’

शिंदे ने कहा कि 1,500 रुपये मासिक भत्ता प्रदान करने वाली ‘लाडकी बहिन योजना’ ने महिलाओं को सहायता और स्वतंत्रता प्रदान की है।

महिलाओं को प्रति माह 3,000 रुपये देने के एमवीए के आश्वासन पर मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘एमवीए ने पहले हमारी छवि खराब की और अदालत चली गई। मेरी बहनें जानती हैं कि वह (एमवीए) इसे लागू नहीं करेगा।’’

भाषा सिम्मी शफीक

शफीक

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