मुंबई, 16 अक्टूबर (भाषा) मुंबई की एक अदालत ने 2018 में कुछ पुलिसकर्मियों पर हमला करने के मामले में एक पिता-पुत्र को एक साल जेल की सजा सुनाई है।
अदालत ने आरोपियों को सजा सुनाते हुए कहा कि ऐसी घटनाएं बढ़ रही हैं और इससे लोक सेवकों के लिए अपना कर्तव्य निभाना मुश्किल हो रहा है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वी. एम. सुंदले ने 14 अक्टूबर को सुनाए गए फैसले में रुद्रपाल अग्रवाल (60) और उनके बेटे तुषार (29) को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 353 (लोक सेवक को उसके कर्तव्य पालन से रोकने के लिए आपराधिक बल का प्रयोग करना) और 332 (लोक सेवक को नुकसान पहुंचाना) के तहत किए गए अपराधों के लिए दोषी ठहराया।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, रुद्रपाल अग्रवाल के भाई अशोक अग्रवाल से 15 मई, 2018 को एक शिकायत मिलने के बाद पुलिस दक्षिण मुंबई के केम्प्स कॉर्नर स्थित आरोपी के आवास पर पहुंची थी।
पुलिस को वहां पहुंचने पर पता चला कि दोनों भाइयों और उनके परिवार के सदस्यों के बीच झगड़ा हुआ था।
पुलिस टीम में शामिल उप-निरीक्षक विनोद कांबले ने अदालत के समक्ष अपनी गवाही में कहा कि उन्होंने और अन्य कर्मियों ने देखा कि उनके बीच झगड़ा बढ़ रहा है।
कांबले ने बताया कि उन्होंने दोनों पक्षों को शांत करने का प्रयास किया, लेकिन आरोपी पक्ष और परिवार के अन्य सदस्यों ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया।
पुलिसकर्मी ने अपनी गवाही में कहा कि इसके बाद तुषार ने उन्हें थप्पड़ मारा, जबकि परिवार के अन्य सदस्यों ने उनके और अन्य अधिकारियों के साथ गाली-गलौज और मारपीट भी की।
कांबले के अलावा आठ अन्य गवाहों ने भी गवाही दी।
अतिरिक्त सरकारी अभियोजक रत्नावली पाटिल ने तर्क दिया कि आरोपी ने न केवल कांबले और उनके सहयोगियों को उनके सरकारी कर्तव्यों के निर्वहन में बाधा पहुंचाई, बल्कि उन्हें चोटें भी पहुंचाईं और धमकी भी दी।
अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य पर विचार करने के बाद अदालत इस निष्कर्ष पर पहुंची कि आरोपियों ने समान मंशा से कांबले और अन्य पुलिस अधिकारियों के कार्य में बाधा डाली तथा उन पर हमला किया, जबकि वे विधिपूर्वक अपना कर्तव्य निभा रहे थे।
न्यायाधीश ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने बिना किसी संदेह के अपना मामला सफलतापूर्वक साबित कर दिया है और उन्होंने पिता-पुत्र को दोषी ठहराया। उन्हें एक साल की साधारण कैद की सजा सुनाई गई है।
भाषा प्रीति वैभव
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