ठाणे, नौ नवंबर (भाषा) पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने वाले कार्यकर्ताओं ने दावा किया है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव लड़ रहे राजनीतिक दलों को मुंबई और उसके महानगरीय क्षेत्र में पर्यावरण के मुद्दों की कोई चिंता नहीं है, जिसके फलस्वरूप भविष्य में खतरनाक परिणाम सामने आ सकते हैं।
गैर-लाभकारी और नागरिक संगठनों के कार्यकर्ताओं के अनुसार असामान्य बारिश, बाढ़, वायु और समुद्री प्रदूषण उन प्रमुख मुद्दों में हैं, जो लुप्त हो रही आर्द्रभूमि के बीच प्रत्येक नागरिक के लिए चिंता का विषय हैं।
पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करने वाले संगठन ‘नैटकनेक्ट’ के निदेशक बी एन कुमार ने कहा, ‘‘मुंबई और इसके क्षेत्रीय शहरी केंद्रों पर खुली जगह की बड़ी दिक्कत है। एक भयावह स्थिति यह है कि पहले की कपड़ा मिलों की जमीन कंक्रीट के जंगल में तब्दील हो गई है और वृक्षारोपण पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।’’
उन्होंने कहा कि मुंबई और उसके महानगरीय क्षेत्र में प्रति व्यक्ति खुली जगह में कमी आने के बारे में विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट दमघोंटू वायु प्रदूषण स्थिति बयां करती है। कुमार ने राजनीतिक दलों से अपील की कि वे सामान्य चुनावी बयानबाजी से आगे बढ़कर पर्यावरण की देखभाल पर भी समान रूप से ध्यान दें।
इस दृष्टिकोण से सहमति जताते हुए सागर शक्ति नामक संगठन के निदेशक नंदकुमार पवार ने दावा किया कि खाड़ी और समुद्र का पानी अत्यधिक प्रदूषित हो रहा है, जबकि शिकायतों के बावजूद अधिकारी यह मानने को तैयार नहीं है।
नंदकुमार पवार ने कहा, ‘‘तटीय रायगढ़ जिले के उरण जैसे इलाकों में अंतर-ज्वारीय आर्द्रभूमि समाप्त हो गयी है। कुछ गांव बेमौसम बाढ़ की चपेट में हैं क्योंकि पानी का प्राकृतिक मार्ग बदल गया है।’’
संगठनों ने दावा किया कि पूर्ववर्ती महा विकास आघाडी (एमवीए) की सरकार ने मुंबई जलवायु कार्य योजना (एमसीएपी) का मसौदा तैयार किया था, लेकिन बाद की सरकारों ने इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया।
उन्होंने दावा किया कि शिवसेना-यूबीटी एकमात्र राजनीतिक दल है जिसने अपने घोषणापत्र में पर्यावरण की देखभाल का जिक्र किया है और सभी जिलों के लिए जलवायु कार्य योजना बहाल करने का वादा किया है।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए मतदान 20 नवंबर को होगा, जबकि मतों की गिनती 23 नवंबर को की जाएगी।
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