एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामला: आरोपी ने नवी मुंबई के पुलिस आयुक्त के खिलाफ कार्रवाई की मांग की

एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामला: आरोपी ने नवी मुंबई के पुलिस आयुक्त के खिलाफ कार्रवाई की मांग की

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  • Publish Date - October 25, 2024 / 08:57 PM IST,
    Updated On - October 25, 2024 / 08:57 PM IST

मुंबई, 25 अक्टूबर (भाषा) एल्गार परिषद माओवादी संबंध मामले के एक आरोपी ने विशेष एनआईए अदालत में एक आवेदन दायर कर उसे सुनवाई के लिए अदालत में पेश नहीं करने के लिए नवी मुंबई के पुलिस आयुक्त के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

आरोपी एवं अधिवक्ता सुरेन्द्र गाडलिंग ने बृहस्पतिवार को विशेष न्यायाधीश चकोर भाविसकर के समक्ष एक याचिका दायर कर नवी मुंबई के पुलिस आयुक्त और कलंबोली मुख्यालय के रिजर्व पुलिस निरीक्षक के खिलाफ कार्रवाई की मांग की, क्योंकि उन्होंने सुनवाई के लिए उसे पेश न करके सरकारी संकल्प और उच्च न्यायालय के निर्देशों का उल्लंघन किया है।

उन्होंने विशेष अदालत के आदेश के बावजूद उन्हें खाट उपलब्ध न कराने के लिए जेल अधिकारियों के खिलाफ अवमानना​​ की कार्यवाही शुरू करने की मांग करते हुए एक याचिका और दायर की है।

नवी मुंबई के तलोजा जेल में बंद गाडलिंग और छह अन्य आरोपी – सागर गोरखे, सुधीर धावले, रमेश गाइचोर, हनी बाबू, रोना विल्सन और महेश राउत पिछले हफ्ते भूख हड़ताल पर चले गए थे। उनका दावा था कि पुलिस जानबूझकर उन्हें अदालत में पेश नहीं करने दे रही है।

अट्ठावन वर्षीय आरोपी ने हृदय रोग, मधुमेह और रक्तचाप जैसी स्वास्थ्य समस्याओं का हवाला देते हुए अदालत से जेल अधिकारियों को यह निर्देश देने की मांग की थी कि उन्हें एक खाट उपलब्ध कराई जाए।

अदालत ने अपना आदेश पारित करते हुए कहा कि यदि जेल की कोठरियों में खाट उपलब्ध है, तो उसे वहां रखा जा सकता है।

इसने गाडलिंग को जेल कैंटीन से अपने खर्च पर गद्दा खरीदने और उसका उपयोग करने की भी अनुमति दी।

बृहस्पतिवार को दायर एक अन्य याचिका में आरोपी ने अदालत से जेल अधिकारियों को निर्देश देने की मांग की कि उसे सुबह और शाम के समय टहलने की अनुमति दी जाए।

मामले की सुनवाई 11 नवंबर को होगी। गाडलिंग और 14 अन्य कार्यकर्ताओं पर 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में आयोजित एल्गार परिषद सम्मेलन में दिए गए कथित भड़काऊ भाषण के संबंध में मामला दर्ज किया गया था।

इसके अगले दिन कोरेगांव भीमा में हिंसा भड़क उठी। पुणे पुलिस के अनुसार, इस सम्मेलन को माओवादियों का समर्थन प्राप्त था। बाद में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने मामले की जांच अपने हाथ में ले ली।

भाषा

नोमान दिलीप

दिलीप