महाराष्ट्र चुनाव के दौरान ‘वोट जिहाद’ जैसे शब्दों के इस्तेमाल की निर्वाचन आयोग जांच कर रहा: अधिकारी

महाराष्ट्र चुनाव के दौरान 'वोट जिहाद' जैसे शब्दों के इस्तेमाल की निर्वाचन आयोग जांच कर रहा: अधिकारी

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  • Publish Date - December 11, 2024 / 03:53 PM IST,
    Updated On - December 11, 2024 / 03:53 PM IST

(निखिल देशमुख)

मुंबई, 11 दिसंबर (भाषा) हाल में संपन्न महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में चुनाव प्रचार के दौरान कुछ राजनीतिक दलों द्वारा इस्तेमाल किये गये ‘‘वोट जिहाद’’ जैसे विवादास्पद शब्दों की भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) द्वारा जांच की जा रही है। एक अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी।

महाराष्ट्र के अतिरिक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी डॉ. किरण कुलकर्णी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिये एक विशेष साक्षात्कार में कहा कि राज्य में हुए चुनाव के दौरान चुनाव आचार संहिता उल्लंघन के 650 से अधिक मामले दर्ज किये गये और प्रवर्तन एजेंसियां ​​यह सुनिश्चित करेंगी कि इन मामलों को तार्किक अंजाम तक पहुंचाया जाए।

‘वोट जिहाद’ के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘निर्वाचन आयोग आगे की कार्रवाई करने से पहले कानूनी, भाषाई और सामाजिक क्षेत्रों में इसके प्रभावों का सतर्कतापूर्वक विश्लेषण कर रहा है… हमें ‘वोट जिहाद’ जैसे शब्दों से बहुत सावधान रहना चाहिए क्योंकि इनके गंभीर परिणाम होते हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह एक नया वाक्यांश है जिसके लिए गहन अध्ययन की आवश्यकता है। इसमें कानूनी, भाषाई, सामाजिक और धार्मिक पहलू शामिल हैं जिन पर विचार किया जाना चाहिए। मुख्य निर्वाचन अधिकारी तथा मैं और ईसीआई के अधिकारी इसका विश्लेषण कर रहे हैं और इन सभी पहलुओं की व्यापक समीक्षा के बाद हम उचित निर्णय लेंगे।’’

जब उनसे पूछा गया कि क्या इस तरह के विवादास्पद शब्दों से चुनावी चर्चा पर असर पड़ता है, तो कुलकर्णी ने जल्दबाजी में कोई निष्कर्ष निकालने के प्रति आगाह किया।

उन्होंने कहा, ‘‘यह एक दीर्घकालिक प्रक्रिया है। शब्दों और उनके संदर्भों को अच्छी तरह से परिभाषित किया जाना चाहिए। नई शब्दावली के लिए कोई ठोस कानूनी ढांचा नहीं है, इसलिए हमें ऐसे मामलों से सावधानीपूर्वक निपटना चाहिए तथा उनके परिणामों को ध्यान में रखना चाहिए।’’

महाराष्ट्र में 288 सदस्यीय विधानसभा के लिए चुनाव 20 नवंबर को हुए थे और मतगणना इसके तीन दिन बाद हुई थी। राज्य में चुनाव आचार संहिता 15 अक्टूबर को लागू हो गई थी।

कुलकर्णी ने कहा कि राज्य में चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन के लिए कुल 659 मामले दर्ज किए गये। यह आंकड़ा इस वर्ष की शुरुआत में हुए लोकसभा चुनावों के दौरान दर्ज किये गये ऐसे मामलों से ज्यादा है। लोकसभा चुनाव के दौरान आचार संहिता के उल्लंघन के 366 मामले दर्ज किये गये थे।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारी जांच एजेंसियों ने लोकसभा मामलों में उत्कृष्ट कार्य किया है और अदालतों में 300 आरोपपत्र पहले ही दाखिल किए जा चुके हैं।’’

विधानसभा चुनाव के मामलों पर उन्होंने कहा, ‘‘हम पूरी तत्परता से मामलों की जांच कर रहे हैं। हमारी प्रवर्तन एजेंसियां ​​जांच कर रही हैं और सभी आरोपपत्र अदालतों में दाखिल किए जाएंगे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ये मामले तार्किक अंजाम पर पहुंचें।’’

उन्होंने कहा, ‘‘कार्रवाई की समय सीमा न्यायपालिका पर निर्भर करती है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ये आपराधिक मामले हैं, इसलिए इनमें उचित प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए। अदालतें चुनाव संबंधी अपराधों के प्रति गंभीर हैं और हम शीघ्र समाधान का अनुरोध कर रहे हैं।’’

नफरती भाषण की शिकायतों पर कुलकर्णी ने कहा कि इस तरह के मामलों से भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के तहत निपटा जाता है। उन्होंने कहा, ‘‘कुछ शिकायतों की सत्यता की पुष्टि की गई और प्रासंगिक कानूनी प्रावधानों के तहत मामले दर्ज किए गए। हालांकि, आदर्श आचार संहिता कोई कानून नहीं है, बल्कि विभिन्न कानूनों द्वारा समर्थित एक सहमतिपूर्ण दिशानिर्देश है।’’

कुलकर्णी ने मतदान के दौरान ‘बूथ कब्जाने’ के आरोपों को खारिज करते हुए महाराष्ट्र की मजबूत चुनावी प्रणाली का हवाला दिया।

‘बूथ कब्जाने ’ का मतलब धांधली करके या गैर कानूनी रूप से फर्जी वोट डालना और सही मतों को खराब करना होता है।

उन्होंने कहा, ‘‘महाराष्ट्र में ‘बूथ पर कब्जे’ कभी नहीं हुए। ईवीएम के मामले में यह बेमानी है, क्योंकि मशीनें मजबूत हैं और डेटा को फिर से हासिल किया जा सकता है। मतदान के दौरान व्यवधान के छह मामले सामने आए, लेकिन एक घंटे के भीतर मतदान प्रक्रिया बहाल कर दी गई।’’

भाषा

देवेंद्र पवनेश

पवनेश