IBC Pedia News, Eknath Shinde Story: मुंबई। महाराष्ट्र की राजनीति में सियासी भूचाल लाने वाले बागी शिवसैनिकों के नेता एकनाथ शिंदे की जिंदगी में एक समय ऐसा भी आया था, जब वे पूरी तरह से बिखर चुके थे। राजनीति समेत सबकुछ छोड़ने का फैसला ले लिया था। आज से 22 साल पहले जून महीने में ऐसा ही हुआ था। दरअसल, सतारा में हुए नाव हादसे में उनकी आंखों के सामने उनके बेटा बेटी की डूबने से मौत हो गई थी। उनके राजनीतिक गुरु शिवसेना के कद्दावर नेता आनंद दीघे ही उन्हें वापस राजनीति में लाए थे।
महाराष्ट्र के सतारा जिले में 9 फरवरी 1964 को जन्में एकनाथ शिंदे ने ठाणे शहर में आने के बाद 11वीं कक्षा तक मंगला हाईस्कूल और जूनियर कालेज, ठाणे से पढ़ाई की। शुरुआत में एकनाथ शिंदे ठाणे में ऑटो चलाते थे। आनंद दीघे से प्रभावित होकर 1980 के दशक में उन्होंने शिवसेना ज्वाइन की। जब 2001 में दीघे का निधन हुआ तो शिवसेना में उनकी विरासत एकनाथ शिंदे ने संभाली। 1980 के दशक में एकनाथ को शिवसेना में किसान नगर का शाखा प्रमुख नियुक्त किया गया और तभी से वे पार्टी द्वारा सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों को लेकर कई आंदोलनों में सबसे आगे रहे।
Eknath Shinde Story: वर्ष 1997 में एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) को शिवसेना ने ठाणे नगर निगम चुनाव में पार्षद का टिकट दिया और उन्होंने भारी बहुमत से जीत हासिल की। 2001 में वह ठाणे नगर निगम में सदन के नेता के रूप में चुने गए और 2004 तक इस पद पर बने रहे। साल 2004 में एकनाथ शिंदे को बालासाहेब ठाकरे ने ठाणे विधानसभा चुनाव लड़ने का मौका दिया और उन्होंने भारी बहुमत से जीत हासिल की। साल 2005 में शिवसेना ठाणे जिला प्रमुख के प्रतिष्ठित पद पर एकनाथ शिंदे को नियुक्त किया गया था। इसके बाद उन्होंने साल 2009, 2014 और 2019 के विधानसभा चुनावों में जीत हासिल किए।
साल 2014 के चुनावों के बाद एकनाथ शिंदे को शिवसेना के विधायक दल के नेता और बाद में महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता के रूप में चुना गया। अक्टूबर 2014 से दिसंबर 2014 तक महाराष्ट्र विधानसभा में वे विपक्ष के नेता रहे। 2014 में ही महाराष्ट्र राज्य सरकार में PWD के कैबिनेट मंत्री के रूप में नियुक्त हुए। 2019 में कैबिनेट मंत्री सार्वजनिक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री (महाराष्ट्र सरकार) का पद मिला। यह भी माना जाता है कि वह ठाणे में लोगों से अपने बेहतर संपर्क एवं जनसेवा के कारण ही जीतकर आते हैं।
2019 में विधानसभा चुनाव के दौरान शिंदे को उम्मीद थी कि ठाकरे परिवार स्वर्गीय बालासाहब ठाकरे की परंपरा का निर्वाह करते हुए स्वयं मुख्यमंत्री पद का दावेदार नहीं बनेगा। लेकिन पहले आदित्य ठाकरे के खुद विधानसभा चुनाव लड़ जाने और फिर उद्धव ठाकरे द्वारा कांग्रेस-राकांपा जैसे धुर विरोधी विचारों वाली पार्टियों से हाथ मिलाकर खुद मुख्यमंत्री बन जाने के बाद शिंदे को शिवसेना में अपना भविष्य अंधकारमय नजर आने लगा। उनकी बगावत का एक और बड़ा कारण शिवसेना का हिंदुत्व के एजेंडे से भटकना भी माना गया। शिवसेना की सहयोगी पार्टी राकांपा का ठाणे में रिकार्ड हिंदू विरोधी ही रहा है। ठाणे में उसके नेता जीतेंद्र आह्वाड के कंधे से कंधा मिलाकर चलना एकनाथ शिंदे के लिए संभव नहीं हो पाना भी उनकी बगावत का एक कारण माना जा रहा है।
एकनाथ संभाजी शिंदे महाराष्ट्र राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं। वे शिवसेना के सदस्य के रूप में भारत के ठाणे के कोपरी-पचपखडी से विधानसभा के सदस्य हैं। एकनाथ शिंदे ठाणे महानगर पालिका में दो कार्यकालों तक नगरसेवक रहे और तीन साल तक शक्तिशाली स्थायी समिति के सदस्य और चार साल तक सदन के नेता रहे। उनका जन्म 9 फरवरी 1964 को महाराष्ट्र में हुआ। उन्होंने 11 वीं तक की पढ़ाई मंगला हाई स्कूल और जूनियर कॉलेज, ठाणे से की। उन्होंने श्रीमती लता एकनाथ शिंदे से शादी की। इस दंपति का एक बेटा है जिसका नाम श्रीकांत शिंदे है। वे एक ऑर्थोपेडिक सर्जन हैं जिन्हें कल्याण निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा के सदस्य के रूप में निर्वाचित किया गया, जो एनसीपी के आनंद परांजपे को हराकर एमएनएस के राजू पाटिल और शिवसेना से हार गए।
2019— मुख्यमंत्री देवेंद्र फणनवीस ने एकनाथ शिंदे का स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय सौंपा।
2018— शिवसेना पार्टी के नेता के रूप में नियुक्त हुए।
2014— महाराष्ट्र विधानसभा के लिए चुने गए।
2014— महाराष्ट्र राज्य सरकार लोक निर्माण विभाग के कैबिनेट मंत्री के रूप में नियुक्त हुए।
2014— ठाणे जिले के संरक्षक मंत्री के रूप में नियुक्त हुए।
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