नागपुर, 17 दिसंबर (भाषा) महाराष्ट्र में राज्य मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किए जाने से नाराज हुए नेताओं को मनाने के लिए शिवसेना प्रयास कर रही है। शिवसेना नेता और महाराष्ट्र के मंत्री उदय सामंत ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
यहां पत्रकारों से बातचीत में सामंत ने यह बात स्वीकार की है कि मंत्री पद नहीं दिए जाने के कारण पार्टी के कुछ विधायकों में नाराजगी हो सकती है।
महाराष्ट्र विधानसभा में देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली सरकार के पहले मंत्रिमंडल विस्तार में 15 दिसंबर को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की महायुति के 39 विधायकों को मंत्री पद शपथ दिलाई गई। पिछली महायुति सरकार के 10 मंत्रियों को इस बार मौका नहीं दिया गया, जबकि 16 नए चेहरों को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है।
भाजपा को 19 मंत्री पद मिले, जबकि एकनाथ शिंदे की शिवसेना को 11 और अजित पवार की राकांपा को नौ मंत्री पद मिले।
सामंत ने कहा, ‘‘हम एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में एक परिवार की तरह काम करते हैं। अगर किसी को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलती है तो नाराजगी हो सकती है। जो लोग मंत्री बने हैं उनकी जिम्मेदारी है कि वे नाराजगी दूर करें। हम इसका समाधान किए जाने के लिए कार्य कर रहे हैं।’’
सामंत ने कहा कि चाहे वह शिवसेना नेता तानाजी सावंत हों या विजय शिवतारे, उपमुख्यमंत्री शिंदे उन्हें मना लेंगे। उन्होंने कहा कि कुछ पार्टी नेता राज्य मंत्रिमंडल में उन्हें शामिल न किए जाने से नाराज हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘अगर हम दो या तीन महीने में अच्छा काम नहीं करेंगे तो हमें मंत्री बनाने वाले शिंदे हमारा मंत्री पद वापस ले लेंगे।’’
सामंत ने कहा कि सभी को समायोजित करना संभव नहीं है, क्योंकि राज्य मंत्रिमंडल में शिवसेना के पास केवल 12 पद हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि विभागों का आवंटन जल्द ही कर दिया जाएगा।
इससे पहले शिवसेना नेता शिवतारे ने फडणवीस नीत सरकार के पहले मंत्रिमंडल विस्तार में नजरअंदाज किये जाने पर निराशा व्यक्त की थी।
नाराज शिवतारे ने कहा कि अगर ढाई साल बाद उन्हें मंत्री पद की पेशकश की भी जाती है तो वह इसे स्वीकार नहीं करेंगे।
भंडारा से शिवसेना विधायक और मंत्री पद के अकांक्षी नरेंद्र भोंडेकर ने मंत्री पद के लिए नजरअंदाज किए जाने के बाद पार्टी के सभी पदों – पूर्वी विदर्भ के उपनेता और समन्वयक – से इस्तीफा दे दिया।
भाषा यासिर प्रशांत
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