अदालत ने मालेगांव विस्फोट मामले में फैसला सुरक्षित रखा

अदालत ने मालेगांव विस्फोट मामले में फैसला सुरक्षित रखा

अदालत ने मालेगांव विस्फोट मामले में फैसला सुरक्षित रखा
Modified Date: April 19, 2025 / 08:26 pm IST
Published Date: April 19, 2025 8:26 pm IST

मुंबई, 19 अप्रैल (भाषा) विशेष एनआईए अदालत ने महाराष्ट्र के नासिक जिले के सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील मालेगांव में हुए बम विस्फोट मामले में लगभग 17 साल बाद मुकदमे की सुनवाई पूरी होने के उपरांत शनिवार को फैसला सुरक्षित रख लिया।

मुंबई से करीब 200 किलोमीटर दूर मालेगांव में एक मस्जिद के पास मोटरसाइकिल में लगाए गए विस्फोटक में 29 सितंबर 2008 को हुए धमाके में छह लोग मारे गए थे और 100 से अधिक घायल हो गए।

अभियोजन पक्ष ने शनिवार को अपनी अंतिम लिखित दलीलें दाखिल कीं, जिसके बाद मामले की सुनवाई समाप्त हो गई। इसके बाद विशेष न्यायाधीश ए के लाहोटी ने मामले को फैसले के लिए आठ मई तक स्थगित कर दिया।

 ⁠

मुकदमे की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने 323 गवाहों का परीक्षण किया, जिनमें से 34 अपने बयान से पलट गए थे। लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)की नेता प्रज्ञा ठाकुर- मेजर रमेश उपाध्याय (सेवानिवृत्त), अजय राहिरकर, सुधाकर द्विवेदी, सुधाकर चतुर्वेदी और समीर कुलकर्णी पर गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं के तहत मुकदमा चलाया गया।

इस मामले की जांच शुरू में महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) द्वारा की गई थी, जिसे 2011 में एनआईए को स्थानांतरित कर दिया गया।

एनआईए ने मामला अपने हाथ में लेने के बाद 2016 में आरोपपत्र दाखिल किया था, जिसमें ठाकुर और तीन अन्य आरोपियों श्याम साहू, प्रवीण टाकलकी और शिवनारायण कलसांगरा को क्लीन चिट देते हुए कहा था कि उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला और उन्हें मामले में आरोप मुक्त किया जाना चाहिए।

एनआईए अदालत ने हालांकि साहू, कलसांगरा और टाकलकी को आरोप मुक्त कर दिया और फैसला सुनाया कि साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को मुकदमे का सामना करना होगा।

भाषा धीरज दिलीप

दिलीप


लेखक के बारे में