मुंबई, 21 जनवरी (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने 2017 में नाबालिग रहने के दौरान बिना हेलमेट और लाइसेंस के दोपहिया वाहन चलाने वाले एक व्यक्ति के खिलाफ मामला निरस्त कर दिया है, लेकिन उसे चार रविवार तक यहां एक अस्पताल में सामुदायिक सेवा करने का आदेश दिया।
न्यायमूर्ति रवींद्र घुगे और राजेश पाटिल की पीठ ने 16 जनवरी को पारित अपने आदेश में व्यक्ति को तीन महीने के लिए शहर की पुलिस के पास अपना ड्राइविंग लाइसेंस जमा करने का भी निर्देश दिया।
पीठ ने व्यक्ति के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करते हुए इस तथ्य पर ध्यान दिया कि उसने अभी-अभी अपनी पढ़ाई पूरी की है और नौकरी की तलाश कर रहा है।
पीठ ने व्यक्ति को एक शपथ पत्र दाखिल करने का निर्देश दिया कि वह मोटरसाइकिल चलाते समय हमेशा हेलमेट पहनेगा।
प्राथमिकी के लंबित रहने से उसका भविष्य प्रभावित होने की बात करते हुए अदालत ने कहा, ‘‘अगर वह सार्वजनिक या निजी क्षेत्र में या किसी भी तरह की राज्य सरकार की सेवाओं में नौकरी करना चाहता है, तो उसके खिलाफ दर्ज की गई प्राथमिकी से उसके लिए बाधा या रुकावट पैदा हो सकती है।’’
प्राथमिकी 21 अक्टूबर, 2017 को दर्ज की गई थी, जब उस व्यक्ति को औचक पुलिस जांच के दौरान बाइक चलाते हुए पकड़ा गया था। बाइक पर उसके साथ उसकी मां भी सवार थीं। घटना के वक्त वह व्यक्ति नाबालिग था।
पुलिस ने पाया कि वह बिना लाइसेंस और हेलमेट के गाड़ी चला रहा था।
जब पुलिस ने उनसे पूछताछ की, तो उसकी मां ने कथित तौर पर पुलिस के साथ बदसलूकी की।
अदालत ने उस व्यक्ति की मां के खिलाफ मामला भी खारिज कर दिया और उन्हें एनजीओ ‘इन डिफेंस ऑफ एनिमल्स’ को 25,000 रुपये का खर्च देने का निर्देश दिया।
अदालत ने सामुदायिक सेवा के तहत, इस व्यक्ति को 26 जनवरी से चार रविवार को सुबह 10 बजे से अपराह्न 2 बजे तक मलाड के एस के पाटिल महानगरपालिका जनरल अस्पताल में काम करने का निर्देश दिया। अस्पताल अधीक्षक को उसे काम सौंपने का निर्देश दिया गया है।
भाषा
दिलीप माधव
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