मुंबई, 13 मार्च (भाषा) समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक अबू आजमी को मुंबई की एक अदालत ने साक्षात्कार के दौरान संयम बरतने की चेतावनी दी है, क्योंकि उनके जैसे वरिष्ठ नेता का कोई भी ‘गैर-जिम्मेदाराना’ बयान दंगे भड़का सकता है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वी जी रघुवंशी ने मुगल शासक औरंगजेब की प्रशंसा करने वाली टिप्पणी के लिए सपा विधायक के खिलाफ दायर मामले में मंगलवार को अग्रिम जमानत देते हुए आजमी से नाखुशी जताई।
अदालत ने आदेश में कहा कि यह अपराध साक्षात्कार के दौरान दिए गए कुछ बयानों से संबंधित है और इसका मतलब है कि पुलिस को किसी भी वस्तु को जब्त करने या पूछताछ के लिए हिरासत की आवश्यकता नहीं है। आदेश की एक प्रति बृहस्पतिवार को उपलब्ध कराई गई।
यह देखते हुए कि आजमी एक नेता हैं और व्यवसायी हैं और यह असंभव है कि वह न्याय से भागेंगे, न्यायाधीश ने कहा कि यह उनके पक्ष में ‘विवेक का प्रयोग करने के लिए उपयुक्त मामला’ है।
अदालत ने कहा, ‘‘आदेश जारी करने से पहले मैं आवेदक (आजमी) को मौजूदा परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए साक्षात्कार देते समय संयम बरतने की चेतावनी देना चाहूंगा। कोई भी गैर-जिम्मेदाराना बयान दंगे भड़का सकता है और कानून-व्यवस्था की समस्या पैदा कर सकता है।’’
इसमें कहा गया है, ‘‘मुझे उम्मीद है कि वरिष्ठ नेता होने के नाते आवेदक अपनी जिम्मेदारी समझेंगे।’’
मुंबई के मानखुर्द-शिवाजी नगर निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले आजमी के खिलाफ मुगल शासक औरंगजेब की प्रशंसा करने वाली उनकी टिप्पणी को लेकर पिछले सप्ताह भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के तहत मामला दर्ज किया गया था।
समाजवादी पार्टी की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष आजमी ने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि औरंगजेब के शासनकाल के दौरान भारत की सीमाएं अफगानिस्तान और बर्मा (म्यांमा) तक पहुंच गई थीं।
विपक्षी विधायक ने दावा किया था, ‘‘हमारा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 24 प्रतिशत (विश्व जीडीपी का) था और भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था।’’
औरंगजेब और मराठा योद्धा छत्रपति संभाजी महाराज के बीच लड़ाई के बारे में पूछे जाने पर, आजमी ने इसे एक राजनीतिक लड़ाई बताया था।
यह टिप्पणी छत्रपति संभाजी महाराज के जीवन पर आधारित हिंदी फिल्म ‘छावा’ की पृष्ठभूमि में की गई थी, जिन्हें 1689 में औरंगजेब के कमांडर ने पकड़ लिया था।
छत्रपति संभाजी महाराज और उनके पिता, महान मराठा राजा छत्रपति शिवाजी महाराज, महाराष्ट्र में अत्यधिक पूजनीय हैं।
आजमी को 26 मार्च तक महाराष्ट्र विधानसभा से निलंबित कर दिया गया है। अग्रिम जमानत की मांग करते हुए उन्होंने अदालत में दलील दी कि उनके प्रेस को दिए गए बयान ‘किसी भी व्यक्तित्व का अपमान करने या किसी व्यक्ति की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के किसी भी पूर्व नियोजित इरादे के बिना’ दिए गए थे।
भाषा वैभव मनीषा
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