नागपुर (महाराष्ट्र), 17 दिसंबर (भाषा) महाराष्ट्र में हाल में परभणी में हुई हिंसा और बीड जिले में एक सरपंच की हत्या के मामले को लेकर कांग्रेस सदस्यों ने राज्य सरकार के रवैये के विरोध में मंगलवार को महाराष्ट्र विधानसभा की कार्यवाही का बहिष्कार किया।
विपक्षी शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) (राकांपा-एसपी) के सदस्यों ने कांग्रेस विधायकों के साथ मिलकर सदन से बहिर्गमन किया। लेकिन बाद में शिवसेना (यूबीटी) के विधायक सदन में लौट आए।
समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक अबू आजमी अन्य विपक्षी सदस्यों के साथ सदन से बाहर नहीं गए और सदन में मौजूद रहे।
मध्य महाराष्ट्र के परभणी शहर में 10 दिसंबर की शाम को उस समय हिंसा भड़क उठी थी जब परभणी रेलवे स्टेशन के बाहर डॉ. बी. आर. आंबेडकर की प्रतिमा के पास कांच के सांचे के भीतर रखी गई संविधान की प्रतिकृति को क्षतिग्रस्त कर दिया गया था।
हिंसा के संबंध में 50 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया और कई मामले दर्ज किए गए।
बीड में मासाजोग गांव के सरपंच संतोष देशमुख का नौ दिसंबर को अपहरण कर हत्या कर दी गई थी।
राज्य विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को सदन की कार्यवाही शुरू होने पर विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने कांग्रेस सदस्य नितिन राउत के कार्यस्थगन नोटिस को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इस मुद्दे पर चर्चा बुधवार को होगी।
हालांकि, राउत और उनकी पार्टी के सहयोगी नाना पटोले ने मांग की कि इस मुद्दे पर तत्काल चर्चा होनी चाहिए क्योंकि ये घटनाएं हाल की हैं और इनसे राज्य के सामाजिक ताने-बाने के बिगड़ने का खतरा है।
राकांपा (एसपी) सदस्य संदीप क्षीरसागर ने कहा कि वाल्मीक कराड बीड जिले की कैज तहसील के एक गांव के सरपंच की हत्या का मुख्य आरोपी है और अब भी फरार है।
उन्होंने कहा कि उसके खिलाफ जबरन वसूली का मामला दर्ज किया गया है, लेकिन हत्या का नहीं।
कैज से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की विधायक नमिता मुंदड़ा ने कहा कि संतोष देशमुख अच्छे इंसान थे। निर्वाचित प्रतिनिधि होने के बावजूद उन्हें हाईवे पर प्रताड़ित कर मार दिया गया।
उन्होंने बताया कि हत्या नौ दिसंबर को हुई थी और मुख्य आरोपी अब तक पकड़ा नहीं जा सका है।
भाषा
सुरभि नरेश
नरेश